प्रशांत किशोर
Bihar Elections 2025 : प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) की पार्टी आज अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी करेगी। पार्टी करीब 40 उम्मीदवारों के नाम जनता के सामने रखेगी। सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हुई है कि पहली लिस्ट में जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर का नाम होगा कि नहीं। उन्होंने अब तक स्पष्ट नहीं किया है कि वे किस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे, लेकिन एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहगर और राघोपुर का जिक्र किया था।
उन्होंने कहा था कि मैं हमेशा दूसरों को कहता हूं कि चुनाव दो ही जगह से लड़ना चाहिए, या तो जन्मभूमि से या फिर कर्मभूमि से। जन्मभूमि के हिसाब से मुझे सासाराम की करगहर सीट से चुनाव लड़ना चाहिए। यदि नीतीश कुमार विधानसभा चुनाव लड़ते तो मैं उनके खिलाफ पर्चा भरता, लेकिन वह चुनाव नहीं लड़ते हैं। इसलिए मैं राघोपुर को कर्मभूमि मानता हूं। उन्होंने कहा कि मेरे पास करहगर (रोहतास) और राघोपुर (वैशाली) में से एक सीट चुनने का विकल्प है, लेकिन इस पर अंतिम फैसला मेरी पार्टी को लेना होगा।
कहगर का गठन बिहार में परिसीमन के बाद हुआ था। साल 2015 में यहां जदयू ने 32.08% वोट के साथ जीत हासिल की थी और उपेंद्र कुशवाहा की RLP (अब RLM) 36.9% वोट के साथ दूसरे स्थान पर रही थी। 2020 में कांग्रेस ने 30.76% वोट के साथ जीत दर्ज की जबकि जदयू 28.66% वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रही।
प्रशांत किशोर की जन्मभूमि कहगर में ब्राह्मण निर्णायक भूमिका निभाते हैं। हालांकि, कहगर की सीट कुर्मी बाहुल्य है, लेकिन एंटी कुर्मी राजनीति के चलते ब्राह्मण यहां एक तरफ लामबंद हो जाते हैं। यही कारण रहा है कि पिछले चुनाव में कुर्मी जाति से आने वाले वशिष्ठ सिंह को ब्राह्मण जाति से आने वाले संतोष मिश्रा ने हरा दिया था। प्रशांत किशोर खुद ब्राह्मण जाति से आते हैं, इसलिए उन्हें इस सीट पर इसका लाभ मिल सकता है।
प्रशांत किशोर लगातार तेजस्वी यादव (Tejashwi) को चुनौती देते हुए दिखाई पड़ते हैं। उन्होंने राघोपुर से चुनाव लड़ने का इशारा भी किया है। प्रशांत बिहार की जनता को बताने में एक बार भी नहीं चूकते हैं कि तेजस्वी 9वीं फेल हैं। उनमें ज्ञान की कमी है। बिहार की जनता उन्हें सीएम के रूप में स्वीकार नहीं कर सकती है।
राघोपुर विधानसभा सीट बिहार के वैशाली जिले में आती है। राघोपुर सीट पिछले 30 वर्षों में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और विशेष रूप से लालू प्रसाद यादव के परिवार का मजबूत गढ़ रहा है। साल 1995 में लालू यादव ने पहली बार जनता दल (बाद में RJD) के टिकट पर राघोपुर से पहली बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। यह सीट उनके लिए उदय नारायण राय (भोला राय) ने छोड़ी थी, जो 1980 से 1995 तक लगातार विधायक रहे। इस जीत ने राघोपुर को लालू परिवार के राजनीतिक प्रभाव का केंद्र बना दिया।
चारा घोटाले में लालू यादव के जेल जाने के बाद साल 2000 के उपचुनाव में उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने चुनावी ताल ठोकी और जीत दर्ज की। साल 2000 के विधानसभा चुनाव, और 2005 के विधानसभा चुनावों में राबड़ी देवी ने जीत दर्ज की। साल 2010 के विधानसभा चुनाव में पहली बार राजद और लालू परिवार को यहां हार का सामना करना पड़ा। JDU के सतीश कुमार ने राबड़ी देवी को 13,006 वोटों के अंतर से हराया। 2015 के विधानसभा चुनाव में लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव की एंट्री हुई। उन्होंने इस सीट से चुनाव जीता। फिर 2020 में भी तेजस्वी राघोपुर सीट से जीतकर बिहार विधानसभा पहुंचे।
राघोपुर यादव बाहुल्य जनसंख्या वाली विधानसभा सीट है। हालांकि, यहां राजपूत और अन्य समुदायों की आबादी भी अच्छी खासी मानी जाती है। राघोपुर में 2015 में आरजेडी को 49.15% और बीजेपी को 36.9% वोट मिले थे और वह दूसरे नंबर पर रही थी। 2020 में राघोपुर से आरजेडी ने 48.74% वोट शेयर के साथ जीत दर्ज की थी जबकि बीजेपी को 29.64% वोट मिले थे और तब भी वह दूसरे नंबर पर रही थी।
Published on:
09 Oct 2025 07:43 am
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