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Rajasthan: मेवाराम जैन की कांग्रेस में वापसी की कैसे लिखी गई पटकथा? किसका रहा ‘योगदान’, जानें इनसाइड स्टोरी

Rajasthan News: सरहदी जिले बाड़मेर से लकेर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल मची हुई है। कथित अश्लील सीडी कांड के चलते कांग्रेस से निष्कासित हुए पूर्व विधायक मेवाराम जैन की पार्टी में वापसी हुई है।

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Mewaram Jain

फोटो- फेसबुक हैंडल

Rajasthan News: सरहदी जिले बाड़मेर से लकेर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल मची हुई है। कथित अश्लील सीडी कांड के चलते कांग्रेस से निष्कासित हुए पूर्व विधायक मेवाराम जैन की पार्टी में वापसी हुई है। इस घटनाक्रम के बाद बाड़मेर, दिल्ली और जयपुर तक की राजनीति में भूचाल आया हुआ है। बताया जा रहा है कि इस वापसी से नाराज होकर कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता इस्तीफा भी दे सकते हैं।

बता दें, मेवाराम जैन की वापसी की पटकथा के पीछे की सियासी रणनीति और इसका विरोध करने वाले नेताओं की सक्रियता के बाद इस घटना की चर्चा पूरे प्रदेश में हो रही है।

CD कांड और निष्कासन- शुरुआत कहां से हुई?

दरअसल, मेवाराम जैन 2008 से 2023 तक बाड़मेर से लगातार तीन बार विधायक रहे। 2023 में एक कथित अश्लील सीडी कांड के कारण विवादों में घिर गए। 20 दिसंबर 2023 को जोधपुर में एक महिला ने उनके खिलाफ गैंगरेप का मामला दर्ज कराया, जिसमें पॉक्सो एक्ट सहित 18 धाराओं के तहत कार्रवाई हुई।

पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया कि मेवाराम ने विधायक रहते अपने रसूख का इस्तेमाल कर कार्रवाई को रोका। इसके बाद, 5-6 जनवरी 2024 की रात 12 बजे, राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने मेवाराम को पार्टी से निलंबित कर दिया। निलंबन पत्र में कहा गया कि मेवाराम के अनैतिक आचरण ने कांग्रेस के संविधान का उल्लंघन किया। इस दौरान सोशल मीडिया पर वायरल एक अश्लील वीडियो ने भी मामले को और तूल दे दिया था।

इस निष्कासन के बाद मेवाराम जैन की सियासी जमीन खिसकती नजर आई। इससे पहले 2023 के विधानसभा चुनाव में वे निर्दलीय प्रत्याशी डॉ प्रियंका चौधरी से हार गए थे, जिसने उनकी सियासी हैसियत को और कमजोर कर दिया था। लेकिन यह कहानी यहीं खत्म नहीं हुई।

वापसी की पटकथा- 6 महीने पहले शुरू हुई थी

सूत्रों के मुताबिक, मेवाराम जैन की कांग्रेस में वापसी की स्क्रिप्ट करीब छह महीने पहले ही लिखी जा चुकी थी। इसकी शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ उनकी मुलाकात से हुई। गहलोत ने इस मामले को कांग्रेस आलाकमान तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और बाड़मेर-जैसलमेर सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल भी इस प्रक्रिया में शामिल रहे।

बताया जाता है कि गहलोत ने गोविंद सिंह डोटासरा के माध्यम से मेवाराम की वापसी की सिफारिश आलाकमान तक पहुंचाई। इसके बाद, अनुशासन समिति की सिफारिश और रंधावा की मंजूरी के बाद 22 सितंबर 2025 को दिल्ली में मेवाराम की औपचारिक वापसी हो गई।

बता दें, प्रभारी रंधावा ने अनुशासन समिति की सिफारिश पर मेवाराम जैन को 22 सिंतबंर को ही दिल्ली में वापसी करवा दी थी। जिसकी खबर मीडिया में 25 सिंतबर को वायरल हुई।

कानूनी आधार- हाईकोर्ट का फैसला बना आधार

वहीं, ये भी बताया जा रहा है कि मेवाराम जैन की वापसी का एक बड़ा आधार राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला रहा। गैंगरेप और पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामले की जांच में उनके खिलाफ लगे आरोप झूठे साबित हुए। हाईकोर्ट ने जैन के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसके बाद उनकी वापसी केवल औपचारिकता रह गई थी। इस कानूनी जीत ने जैन को सियासी तौर पर मजबूती दी और उनकी वापसी का रास्ता साफ किया।

हरीश चौधरी और अन्य नेताओं की नाराजगी

सूत्रों के मुताबिक, मेवाराम जैन की वापसी के फैसले से उनके समर्थक खुश हैं, दूसरी तरफ इस फैसले का पार्टी के अंदर विरोध भी हो रहा है। बाड़मेर के वरिष्ठ नेता और बायतु विधायक हरीश चौधरी ने कई बार बिना नाम लिए कई मंचों पर जैन का विरोध किया है। लोकसभा चुनाव के बाद एक बयान में चौधरी ने कहा था कि कांग्रेस की इमेज ऐसी हो गई थी कि लोग कहने लगे थे, हमारे घर बहन-बेटियां हैं, कृपया कांग्रेसी न आएं। उन्होंने एक बयान में ये भी कहा था कि चाहे सार्वजिनक राजनीति छोड़ना मंजूर लेकिन चरित्रहीन लोगों के साथ नहीं रहेंगे।

चौधरी के अलावा, पूर्व विधायक हेमाराम चौधरी, सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल, पदमाराम मेघवाल, महेंद्र चौधरी, गफूर खान और फतेह खान जैसे नेताओं ने दिल्ली पहुंचकर राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की और जैन की वापसी का विरोध दर्ज कराया। इन नेताओं ने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के सामने आपत्तियां उठाईं और दावा करते हुए कहा कि जैन की वापसी से पार्टी की छवि को नुकसान होगा। विरोधी गुट ने जैन को ‘चरित्रहीन’ करार देते हुए कहा कि उनकी वापसी से कांग्रेस अपनी नैतिकता खो देगी।

क्या बाड़मेर में खत्म हो जाएगी गुटबाजी?

मेवाराम जैन की वापसी को बाड़मेर जिले में कांग्रेस की गुटबाजी को संतुलित करने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। जिले के कुछ नेता, जैसे आमीन खां और मदन प्रजापत, मेवाराम जैन की वापसी से खुश हैं। पार्टी का मानना है कि इस फैसले से बाड़मेर में सियासी संतुलन बना रहेगा और जैन का प्रभाव क्षेत्र में कांग्रेस को मजबूती दे सकता है। हालांकि, विरोधी गुट का मानना है कि यह फैसला उल्टा पड़ सकता है और गुटबाजी को और बढ़ावा दे सकता है।

मेवाराम के साथ पांच और नेताओं की वापसी

मेवाराम जैन की वापसी के कुछ ही घंटों बाद, राजस्थान कांग्रेस ने पांच अन्य नेताओं बालेन्दू सिंह शेखावत, संदीप शर्मा, बलराम यादव, अरविंद डामोर और तेजपाल मिर्धा के निलंबन को भी रद्द कर दिया। इन नेताओं पर अलग-अलग कारणों से अनुशासनहीनता के आरोप थे। मसलन, संदीप शर्मा पर एक महिला से संबंधों को लेकर अनैतिक आचरण का आरोप था, जबकि अरविंद डामोर को लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी निर्देशों की अवहेलना के लिए निष्कासित किया गया था। इन सभी की वापसी का आदेश भी गोविंद सिंह डोटासरा ने जारी किया।

आने वाला सियासी तूफान- क्या होगा असर?

गौरतलब है कि मेवाराम जैन की वापसी ने बाड़मेर की राजनीति में नया अध्याय शुरू किया है। यह फैसला अशोक गहलोत खेमे की जीत के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन विरोधी गुट की नाराजगी ने साफ कर दिया है कि यह मुद्दा अभी शांत नहीं होगा। दिल्ली से जयपुर और बाड़मेर तक फैले विरोध ने कांग्रेस के भीतर की गुटबाजी को और उजागर किया है। सवाल यह है कि क्या यह वापसी बाड़मेर कांग्रेस को एकजुट कर पाएगी, या यह गुटबाजी को और गहरा कर देगी?