जयपुर। साइबर ठगों ने ट्राई (भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण) के नाम पर ठगी के नए पैंतरे शुरू कर दिए हैं। मोबाइल टावर इंस्टालेशन, बहुमंजिला इमारतों में कॉल-डेटा चेकिंग और ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे झांसे देकर लोगों से लाखों रुपए वसूले जा रहे हैं। ठग फर्जी ट्राई अधिकारी बनकर मोटे किराए का लालच देते हैं, रजिस्ट्रेशन या सिक्योरिटी शुल्क के नाम पर रकम ऐंठ रहे हैं।
यहां तक की फर्जी अप्रूवल लेटर तक दिखा रहे हैं। कुछ जगह तो कॉल ट्रेसिंग और सिम ब्लॉक करने की धमकी देकर रकम निकलवाई गई। केस बढ़ने पर ट्राई ने अलर्ट जारी किया है कि वह टावर लगाने के लिए कॉल नहीं करता, न ही आधार, ओटीपी या बैंक जानकारी मांगता है। संदिग्ध कॉल, मैसेज या ई-मेल की तुरंत ट्राई के स्थानीय कार्यालय में सूचना देने व आधिकारिक वेबसाइट से ही सत्यापन करने की सलाह दी गई है।
केस 1: सीकर में कौशल किशोर मौर्य नाम के व्यक्ति को मोबाइल टावर लगाने के लिए कॉल किया। ठगों ने खुद को कंपनी का अधिकारी बताया। यहां तक की फर्जी आइडी तक दिखाई। टावर लगाने के लिए हर माह मोटा किराया देने की बात कही। इसके लिए एक फार्म भरवाकर सिक्योरिटी राशि के नाम पर 25 हजार रुपए लिए।
केस 2: चित्तौड़गढ़ निवासी कन्हैयालाल से दो ठगों ने ट्राई अधिकारी बनकर बात की। डराया कि कन्हैयालाल ने किसी को कॉल करके पैसे ठगे हैं और ट्राई ने उसकी कॉल ट्रेस की है। ठगों ने एआइ के माध्यम से कन्हैयालाल के मोबाइल से भेजे गए मैसेज का पूरा खाका तक तैयार कर लिया। सिम बंद करने का एक फर्जी पत्र तक दिखाया। इसके बाद ठगों ने 50 हजार रुपए वसूल लिए।
ट्राई उपभोक्ताओं से कभी भी आधार, ओटीपी नहीं मांगता है। किसी को भी अपनी पहचान या बैंक जानकारी साझा नहीं करें। ट्राई टावर इंस्टालेशन या अन्य काम के लिए न तो कॉल करता है, न ही घर पहुंचता है। सार्वजनिक रूप से अधिकारिक चैनल के जरिए ही सूचना प्रसारित की जाती है। किसी भी अज्ञात खाते में पैसे ट्रांसफर नहीं करें। हकीकत पता करने के लिए ट्राई की वेबसाइट या स्थानीय कार्यालय पर पता करें या ई-मेल करें।
Published on:
12 Aug 2025 12:51 pm