Rajasthan News : पश्चिमी राजस्थान का सुगंधित थार जीरा अब विश्व पटल पर अपनी अनूठी पहचान बनाने की ओर अग्रसर है। नाबार्ड के वित्तीय सहयोग से थार जीरे के लिए भौगोलिक संकेतक (जीआइ) टैग के लिए चेन्नई स्थित भारत सरकार के भौगोलिक उपदर्शन रजिस्ट्री कार्यालय में किया गया आवेदन स्वीकार कर लिया गया है। यह उपलब्धि न केवल जोधपुर के किसानों के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह उनके लिए नए अवसरों के द्वार भी खोलेगी। थार जीरा अपनी विशिष्ट सुगंध और स्वाद के लिए जाना जाता है। यह पश्चिमी राजस्थान की रेतीली धरती की उपज है। जीआइ टैग मिलने से इसकी गुणवत्ता और प्रामाणिकता को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिलेगी, जिससे किसानों को बेहतर बाजार और उचित मूल्य प्राप्त होगा। इससे न केवल स्थानीय किसानों की आय में वृद्धि होगी बल्कि थार जीरे की मांग देश-विदेश में भी बढ़ेगी।
बगरू हैंड ब्लॉक प्रिंट, ब्ल्यू पॉटरी जयपुर, ब्ल्यू पॉटरी जयपुर (रेनवाल), कठपूतली, कठपूतली (लोगो), कोटा डोरिया, कोटा डोरिया (लोगो), मोलेला क्ले वर्क, सांगानेरी हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग, थेवा आर्ट वर्क, मोलेला क्ले वर्क (लोगो), फुलकारी, पोकरण पॉटरी, बीकानेरी भुजिया, मकराना मार्बल, सोजत मेहंदी, पिछवाई कला नाथद्वारा, जोधपुरी बंधेज जोधपुर, कोतगिरी उदयपुर, उस्ता कला बीकानेर, कशीदाकारी क्राट बीकानेर।
नाबार्ड ने पहले भी राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक और कृषि विरासत को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके तहत जोधपुरी बंधेज, नाथद्वारा पिछवाई चित्रकला, उदयपुर मेटल कोतकला, बीकानेरी उस्ताकला और बीकानेरी कशीदाकारी को जीआइ टैग दिलवाया जा चुका है। इसके अलावा मथानिया मिर्च का जीआइ आवेदन भी स्वीकार हो चुका है, जबकि जोधपुर के साफे और लहरिया के लिए जीआइ आवेदन प्रक्रिया में है।
वर्ष- बिंजाई- उत्पादन बोरी में
2022-23 - 780000- 65 लाख बोरी।
2023-24 - 850000- 55 लाख बोरी।
2024-25 - 1230000- 1.15 करोड़ बोरी।
इस बार करीब 11.20 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई है। अगर अगले एक महीना तक मौसम अच्छा रहता है तो जीरे की 90 लाख बोरी फसल आने की उम्मीद है।
1- जीरे का आकार बड़ा।
2- जीरे का धारीदार व अलग-अलग रंग।
3- जीरे की उम्र लम्बी, 4-5 साल नहीं होता खराब।
4- मिट्टी जीरे के लिए उपयुक्त, जीरे में पाए जाते हैं मिनरल्स।
संसद ने 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत ज्योग्राफिकल इंडिकेशन ऑफ गुड्स लागू किया था। इस आधार पर किसी भी क्षेत्र में पाई जाने वाली किसी खास वस्तु का कानूनी अधिकार संबंधित राज्य को दे दिया जाता है। जीआइ टैग मिलने के बाद कोई भी निर्माता विशिष्ट नाम का दुरुपयोग नहीं कर सकता।
Updated on:
07 Aug 2025 02:50 pm
Published on:
07 Aug 2025 02:48 pm