श्रीगंगानगर। रक्षाबंधन पर घर और भाई की याद आती है, लेकिन जब से BSF में भर्ती होकर देश सेवा का मौका मिला है तो सरहद पर रहते हुए देश की सुरक्षा को रक्षा सूत्र बांध दिया है। रक्षाबंधन से पहले भाई को डाक से राखी भेज कर उसके लिए मंगल कामना कर देती हूं। रक्षा बंधन के दिन तो सीमा चौकी पर साथी जवानों की कलाई पर राखी बांध उन्हें भी घर और बहन की याद से मुक्त कर देती हूं। यह कहना है BSF जवान अमृता कुमारी का।
श्रीगंगानगर सेक्टर की कंचनपुर सीमा चौकी पर तैनात महिला प्रहरी अमृता कुमारी रक्षाबंधन से जुड़ी अपनी भावना को देश की सुरक्षा से जोड़ती हैं। महिला प्रहरी अमृता कुमारी पश्चिम बंगाल से हैं और अब उनकी बटालियन राजस्थान फ्रंटियर के श्रीगंगानगर सेक्टर में तैनात है।
अमृता की बीएसएफ में भर्ती 2023 में हुई। उसी साल घर पर रहकर भाई की कलाई पर राखी बांधी थी। उसके बाद पहले प्रशिक्षण और फिर सरहद पर नियुक्ति मिली तो घर जाने का मौका ही नहीं मिला।
भाई की राखी डाक से ही भेज दी। अमृता पश्चिम बंगाल के उस जिले से हैं, जिसने सेना और बीएसएफ को जितने जवान दिए हैं, उतने और जिले ने नहीं। अब महिलाएं भी देश सेवा के लिए सेना और बीएसएफ सहित अन्य सुरक्षा बलों में भर्ती होने लगी हैं।
महिला प्रहरी कंचना केरल से हैं। बीएसएफ में भर्ती हुए 10 साल हो गए। कंचना ने बताया कि उनके यहां रक्षाबंधन मनाने की परपरा नहीं है। बीएसएफ में भर्ती होने के बाद ही उन्हें रक्षाबंधन का पता चला। अब तो हर साल इस त्योहार पर साथी जवानों को रक्षा सूत्र बांधती हूं। रक्षाबंधन के दिन आसपास के गांवों से महिलाएं और बच्चियां जवानों के हाथों पर रक्षा सूत्र बांधने के लिए सीमा चौकी पर आती हैं तो अच्छा लगता है।
पश्चिम बंगाल की महिला प्रहरी रसना खातून के धर्म में रक्षा बंधन नहीं मनाया जाता, लेकिन रसना स्कूल के समय से ही इस त्योहार को मना रही हैं। उन्होंने बताया कि स्कूल में साथ पढ़ने वाले हिन्दू बच्चों की कलाई पर उसने राखी बांधी थी। बीएसएफ में भर्ती हुई तो सीमा चौकी पर साथी महिला प्रहरियों के साथ जवानों के हाथों पर राखी बांध रही हूं। रसना ने बताया कि बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी सुरक्षा की कामना करती हैं।
सरहद पर रात के समय लगने वाले नाकों पर अब महिला प्रहरी भी तैनात होने लगी हैं। रात के सन्नाटे में अकेले चौकसी करते हुए डर लगने के बारे में पूछे जाने पर महिला प्रहरी प्रतिभा दास कहती हैं कि हाथ में हथियार थामा है तो डर कैसा। वर्दी हमारी ताकत है। जब से यह पहनी है डर नाम की कोई चीज नहीं रही। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी हम महिला प्रहरी सरहद की सुरक्षा में रात भर यह सोच कर जागती थीं कि हमारा देश और देशवासी सुरक्षित रहें
Updated on:
09 Aug 2025 02:32 pm
Published on:
09 Aug 2025 02:27 pm