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राज्य निर्माण के बाद छत्तीसगढ़ में बदली मंत्री बनाने की परंपरा, जोगी सरकार में 23 से घटकर अब 14 तक सिमटा मंत्रिमंडल

छत्तीसगढ़ में राज्य निर्माण के बाद मंत्रियों की संख्या को लेकर हमेशा चर्चा रही है। पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने 23 मंत्री बनाए थे, लेकिन बाद में नियमों की वजह से यह संख्या सीमित हो गई।

छत्तीसगढ़ में मंत्री मंडल का सफर (फोटो सोर्स- पत्रिका)
छत्तीसगढ़ में मंत्री मंडल का सफर (फोटो सोर्स- पत्रिका)

Chhattisgarh Cabinet Expansion: छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद बड़ी संख्या में मंत्री बनाने की परंपरा रही है। वर्ष 2000 में जब दिवंगत अजीत जोगी राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने, तब उनके कार्यकाल में 23 मंत्री नियुक्त किए गए थे। इनमें राज्य मंत्री भी शामिल थे। इसका उल्लेख विधानसभा की कार्यवाही विवरण में मिलता है।

इसके बाद वर्ष 2003 में सत्ता परिवर्तन हुआ और भाजपा से डॉ. रमन सिंह पहली बार मुख्यमंत्री बने। उनके पहले कार्यकाल में 18 मंत्री बने। इसमें भी राज्य मंत्री शामिल थे। हालांकि इनमें से 5 मंत्रियों को नए नियमों की वजह से इस्तीफा तक देना पड़ा था। इसके बाद से राज्य में 13 मंत्री रहे और वर्तमान में 14 मंत्री बने हैं।

2004 में लागू हुआ नया नियम

राजनीति के पुराने जानकारों का कहना है कि जोगी शासनकाल के बाद जब डॉ. सिंह की सरकार बनी तो विधानसभा सीट के हिसाब से मंत्रियों की संख्या तय नहीं हुई थी। बताया जाता है कि नया नियम 2004 में लागू हुआ। इसमें विधानसभा सीट का अधिक 15 फीसदी ही मंत्री बन सकते थे। इसके जद में रमन सरकार के 5 मंत्री आ गए थे। हालांकि इनमें से तीन को संसदीय सचिव और दो को निगम-मंडल में जगह दी गई थी। उस दौरान संसदीय सचिव को कई अधिकार भी थे।

केदार सबसे ज्यादा समय तक रहने वाले मंत्री

राज्य निर्माण के बाद छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा समय तक भाजपा की सरकार रही। डॉ. रमन सिंह तीन बार मुख्यमंत्री रहे। ऐसे में बृजमोहन अग्रवाल, अमर अग्रवाल, राजेश मूणत और केदार कश्यप को हर मंत्रिमंडल में जगह मिलती रही। साय सरकार में भी बृजमोहन और कश्यप मंत्री बने। हालांकि साय सरकार में पांच से छह महीने बाद बृजमोहन सांसद बने और उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। जबकि केदार वर्तमान में भी मंत्री है। इस लिहाज से प्रदेश में सबसे ज्यादा समय तक मंत्री बने रहने का श्रेय केदार कश्यप को जाता है।

इस वजह से सीमा हुई तय

राजनीति के जानकारों का कहना है कि पहले अधिकांश राज्यों में थोक में मंत्री और राज्य मंत्री बनाए जाते थे। इसकी वजह से सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ता था। केंद्र की अटल सरकार ने आबादी और विधानसभा सीटों की संख्या के आधार पर मंत्रिमंडल के गठन का नियम बनाया था।

इन मंत्रियों को देना पड़ा इस्तीफा

रमन सरकार के समय राज्य मंत्री के रूप में कार्यरत 5 मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा था।

  • पूनम चंद्राकर
  • महेश बघेल
  • सत्यानंद राठिया
  • रजिन्दरपाल सिंह भाटिया
  • विक्रम उसेण्डी

मुख्यमंत्रियों का शपथ स्थल

वर्ष - मुख्यमंत्री - स्थल

2000 - अजीत जोगी - पुलिस परेड ग्राउंड
2003 - डॉ. रमन सिंह - पुलिस परेड ग्राउंड
2008 - डॉ. रमन सिंह - पुलिस परेड ग्राउंड
2013 - डॉ. रमन सिंह - पुलिस परेड ग्राउंड
2018 - भूपेश बघेल - इनडोर स्टेडियम
2023 - विष्णु देव साय - साइंस कॉलेज ग्राउंड

मंत्रियों के विभाग