Domicile Policy Kya Hai: बिहार में भर्तियों को लेकर सरकार ने अहम फैसला लिया है। राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग की भर्तियों में 40% डोमिसाइल (स्थायी निवास) नीति लागू करने का फैसला किया है, जिसे कैबिनेट की मंजूरी भी मिल चुकी है। इस फैसले के बाद से राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर इस नीति को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। आइए समझते हैं कि डोमिसाइल पॉलिसी क्या है, इसका फायदा किन्हें मिलेगा और इसका असर बाहर के राज्यों के अभ्यर्थियों पर क्या होगा।
डोमिसाइल शब्द का अर्थ होता है किसी व्यक्ति का कानूनी और स्थायी निवास स्थान। जब कोई राज्य सरकार डोमिसाइल नीति लागू करती है, तो वह कुछ नौकरियों या शैक्षणिक संस्थानों में स्थानीय निवासियों को वरीयता देती है। बिहार में शिक्षा विभाग की भर्तियों के लिए जो डोमिसाइल पॉलिसी लाई गई है, उसके तहत केवल उन्हीं अभ्यर्थियों को इस आरक्षण का लाभ मिलेगा, जिन्होंने मैट्रिक और इंटरमीडिएट की पढ़ाई बिहार से की हो। इससे यह तय होगा कि अभ्यर्थी लंबे समय से राज्य में रह रहा है और यहीं की शिक्षा प्रणाली से जुड़ा है। TRE-1 के दौरान ही डोमिसाइल नीति की मांग की जा रही थी।
बिहार में पहले से ही 60% आरक्षण व्यवस्था लागू है, 50% जातिगत आरक्षण और 10% आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए। अब बची हुई 40% सामान्य सीटों में से 35% महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। यानि सामान्य सीटों में से लगभग 14% महिलाओं को मिलती हैं। बाकी जो 65% सीटें बचती हैं, उसमें से अब 40% बिहार के डोमिसाइल अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित कर दी गई हैं। इस तरह देखा जाए तो शिक्षा विभाग की कुल भर्तियों में 85-86% सीटें बिहार के युवाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। इस नई नीति का सीधा फायदा बिहार के उन युवाओं को मिलेगा जिन्होंने मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षा राज्य के किसी स्कूल या बोर्ड से पास की है। इसका अर्थ है कि बिहार के स्थायी निवासियों को शिक्षा विभाग की भर्तियों में प्राथमिकता दी जाएगी। वहीं, दूसरे राज्यों के वे छात्र जो बिहार में पढ़ाई कर चुके हैं, वे भी इस डोमिसाइल श्रेणी में शामिल माने जाएंगे।
अब तक बिहार में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया (TRE) के तीन चरण पूरे हो चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या में अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों को भी नौकरी मिली थी। इससे राज्य के स्थानीय उम्मीदवारों में असंतोष था। इस फैसले के बाद अब दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों के लिए बिहार में शिक्षा विभाग की नौकरियों के अवसर सीमित हो जाएंगे। हालांकि उनके लिए अभी भी 15% सामान्य सीटें खुली रहेंगी।
TRE-1 के दौरान ही डोमिसाइल नीति की मांग की जा रही थी। स्थानीय युवाओं का आरोप था कि बिहार में बाहर के राज्यों से शिक्षक भर्ती हो रहे हैं, जिससे उनकी संभावनाएं प्रभावित हो रही है और उनकी सीटों में कमी आ रही है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि जब मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे कई राज्यों में पहले से डोमिसाइल नीति लागू है, तो बिहार में यह नीति क्यों नहीं?
Published on:
07 Aug 2025 04:02 pm