
जस्टिस बीआर गवई बतौर सीजेआई करीब छह महीने का कार्यकाल खत्म कर 23 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। रिटायरमेंट पर विदाई कार्यक्रम आयोजित करने और पार्टी-तोहफे आदि देने का पुराना चलन भी रहा है। जजों के रिटायर होने पर वकील और अन्य हस्तियां निजी स्तर पर भी पार्टी देती रही हैं। इन पार्टियों से जुड़े अनेक ऐसे किस्से दर्ज हैं, जिनसे इनकी असलियत और न्यायपालिका से जुड़े लोगों का नजरिया पता चलता है।
फरवरी 1949 में गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी को एक प्राइवेट पार्टी का न्योता मिला। दिल्ली के रोशनआरा क्लब में यह पार्टी फेडरल कोर्ट के जस्टिस एमसी महाजन के लिए रखी गई थी। राजगोपालाचारी को यह बात पसंद नहीं आ रही थी। वह बड़े नाखुश थे। उन्होंने गृह मंत्री वल्लभ भाई पटेल को चिट्ठी लिख दी। इसमें लिखा, ‘अफसरों, जजों को प्रभावित करने के लिए निजी स्तर पर लोगों द्वारा सार्वजनिक रूप से पार्टी देने के इस बढ़ते चलन को मैं पसंद नहीं करता।’
पटेल ने चीफ जस्टिस एचजे कानिया से बात की और जस्टिस महाजन को भी गवर्नर जनरल की भावनाओं से अवगत कराया। इसके बाद उन्होंने राजगोपालाचारी को चिट्ठी लिखी और कहा कि पार्टी में जाने का कार्यक्रम रद्द किया जा सकता है। हालांकि, 1954 में जब जस्टिस महाजन रिटायर हुए तो उन्होंने बताया था कि वकीलों और स्टाफ के लोगों ने उनके लिए पार्टी दी थी।
1992 में लीला सेठ हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट से बतौर चीफ जस्टिस रिटायर हुईं तो मुख्यमंत्री ने उनके सम्मान में भोज देना चाहा। सेठ को इसमें कुछ गलत नहीं लग रहा था। वह इसमें शामिल भी होना चाहती थीं, लेकिन उनके सहयोगियों ने ऐसा नहीं करने की सलाह दी। अंतिम वक्त में सीएम को पार्टी रद करनी पड़ी।
नामी वकील और पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के बेटे अभिनव चंद्रचूड़ ने अपनी किताब ‘द सुप्रीम व्हिसपर’ में इनके अलावा भी कई वाकये बताए हैं।
जस्टिस मोहम्मद हिदायतुल्ला मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस (1954-1958) हुआ करते थे। 1957 में दिल्ली में हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों का एक सम्मेलन हुआ। जस्टिस हिदायतुल्ला को सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज विवियन बोस के साथ ठहराया गया था। उन्होंने जस्टिस बोस से पूछा कि अगर वह सीजेआई से मिलने जाएं तो इसे सुप्रीम कोर्ट में जज बनने के लिए उनकी कोशिश के तौर पर तो नहीं देखा जाएगा? जस्टिस बोस ने उन्हें सीजेआई से नहीं मिलने की सलाह दी और कहा कि एक-दो को छोड़कर हर चीफ जस्टिस सीजेआई के पास सुप्रीम कोर्ट में जज बनाने की गुहार लेकर ही जाते हैं।
जस्टिस बोस ने हिदायतुल्ला को यह भी सलाह दी कि अगर किसी वकील की ओर से निजी पार्टी में आने का न्योता मिले तो उसे भी ठुकरा देना चाहिए।
आगे चल कर हाल ऐसा हुआ कि सुप्रीम कोर्ट के जज किसी वकील या अन्य लोगों का डिनर या पार्टी में आने का न्योता स्वीकार करने में भी सोचने लगे।
जस्टिस एएन ग्रोवर सुप्रीम कोर्ट में जज थे। उनके बेटे की शादी तय हुई। वह राष्ट्रपति वीवी गिरि और उपराष्ट्रपति जीएस पाठक को न्योता देना चाहते थे। उनसे उनकी दोस्ती भी थी। इसके बावजूद चीफ जस्टिस हिदायतुल्ला ने उन्हें यह कह कर रोक दिया कि अच्छा नहीं लगता। जस्टिस ग्रोवर ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को बुलाने का इरादा छोड़ दिया।
देश के सातवें मुख्य न्यायाधीश रहे पीबी गजेंद्रगडकर ने अपनी आत्मकथा में एक वाकये का जिक्र किया है। उन्होंने बताया कि एक शनिवार को किसी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश उनसे मिलने उनके घर आ गए। चाय पीते हुए उन्होंने गुजारिश की कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट में जज बहाल कर दिया जाए। हालांकि, जस्टिस गजेंद्रगडकर ने उनकी बात नहीं मानी।
जस्टिस सूर्य कांत 24 नवंबर, 2025 से 9 फरवरी, 2027 तक देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रहेंगे। वह मई 2019 से सुप्रीम कोर्ट में हैं। तब से वह 290 से ज्यादा फैसले सुना चुके हैं।
वरीयता क्रम के अनुसार जस्टिस कांत के बाद जस्टिस विक्रम नाथ उनकी कुर्सी संभालेंगे। उनका कार्यकाल करीब सात महीने का रहेगा।
Published on:
21 Nov 2025 06:30 am
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