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वीर शहीदों के सम्मान में दशाश्वमेध घाट पर जले आकाशदीप, लोगों ने दी श्रद्धांजलि

वाराणसी के गंगा तट स्थित दशाश्वमेध घाट पर सोमवार की शाम गंगोत्री सेवा समिति की ओर से वीर शहीदों की याद में आकाशदीप जलाए गए। ये दीप उन जवानों को समर्पित थे, जिन्होंने देश की सुरक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी।

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दशाश्वमेध घाट पर जले आकाशदीप

दशाश्वमेध घाट पर जले आकाशदीप

वाराणसी के गंगा तट स्थित दशाश्वमेध घाट पर सोमवार की शाम गंगोत्री सेवा समिति की ओर से वीर शहीदों की याद में आकाशदीप जलाए गए। ये दीप उन जवानों को समर्पित थे, जिन्होंने देश की सुरक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। इस मौके पर मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं। दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए कार्तिक मास में हर साल यह आयोजन किया जाता है। इस परंपरा के तहत गंगा तट, सरोवरों, कूपों, बावड़ियों और घरों की छतों पर आकाशदीप जलाए जाते हैं। यह परंपरा काशी में सदियों से चली आ रही है।

वेद मंत्रों की गूंज के बीच जले दिव्य ज्योति

कार्यक्रम की शुरुआत पांच वैदिक ब्राह्मणों ने मां गंगा की षोडशोपचार पूजा से की। इसके बाद मां गंगा की धारा में 101 दीप प्रवाहित किए गए। वेद मंत्रों की गूंज के बीच जब दिव्य ज्योति से सजे दीप आकाश की ओर उठे, तो पूरा माहौल श्रद्धा से भर गया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, वाराणसी के रणविजय सिंह और विशिष्ट अतिथि हरिद्वार से आए महामंडलेश्वर सुखदेव जी महाराज थे। दोनों ने पीएसी बैंड की मधुर धुनों के बीच शहीदों की याद में दीप प्रज्वलित किए।गंगोत्री सेवा समिति के संस्थापक अध्यक्ष पं. किशोरी रमण दुबे और सचिव दिनेश शंकर दुबे ने बताया कि कार्तिक मास का विशेष महत्व है। महाभारत काल से ही इस महीने में वीरों की याद में आकाशदीप जलाने की परंपरा चली आ रही है।

शहीदों को श्रद्धांजलि देने का एक भावुक क्षण

इस आयोजन में पं. कन्हैया त्रिपाठी, गंगेश्वरधर दुबे, संदीप दुबे, शांति लाल जैन और राम बोध सिंह समेत कई लोग शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक और नगर निगम के ब्रांड एंबेसडर राजेश शुक्ला ने किया। यह आयोजन न सिर्फ शहीदों को श्रद्धांजलि देने का एक भावुक क्षण था, बल्कि इसने काशी की सांस्कृतिक परंपरा और समाज में एकता व भाईचारे का सुंदर संदेश भी दिया।