एम्स का दावा है कि देश के सभी एम्स व राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों (आईएनआई) में यह पहला मामला है। हालांकि आंबेडकर अस्पताल में दो साल पहले देश का पहला मामला आ चुका है। अब तक आंबेडकर में दो और दो बड़े निजी अस्पतालों में दो मामले आए हैं। कुल चार मरीजों का सफल इलाज किया जा चुका है। 38 वर्षीय महिला मरीज दो माह से लगातार गंभीर सिरदर्द व कानों में आवाज (टिनिटस) से पीड़ित थीं। इलाज के बाद पूरी तरह स्वस्थ हो गई है। बीमारी के कारण महिला दैनिक कामकाज जैसे खाना खाना या स्नान भी नहीं कर पा रही थीं।
इलाज करने वाली टीम में न्यूरोसर्जरी, न्यूरोलॉजी और रेडियोलॉजी विभाग के डॉ. अनिल शर्मा, डॉ. सुखरिया सरवनन, डॉ. निहार विजय काठरानी शामिल थे। न्यूरो रेडियोलॉजिस्ट डॉ. ऋचा सिंह चौहान के नेतृत्व में हुई न्यूरो इमेजिंग जांच से पता चला कि मरीज स्पॉन्टेनियस इंट्राक्रेनियल हाइपोटेंशन (एसआईएच) से ग्रसित थीं, जो सीएसएफ लीक के कारण हुआ था। लेटरल डिक्यूबिटस डिजिटल सब्ट्रैक्शन मायलोग्राफी (डीएसएम) जांच में यह दुर्लभ सीएसएफ-वेनस फिस्टुला दाईं ओर के एल एक कशेरुका स्तर पर पाया गया, जहां सीएसएफ असामान्य रूप से शिराओं में जा रहा था।
प्रोसीजर के बाद मरीज के सभी लक्षण पूरी तरह समाप्त हो गए और फॉलो-अप एमआरआई में मस्तिष्क का दबाव सामान्य पाया गया। एनेस्थीसिया की जिम्मेदारी प्रो. डॉ. सुभ्रत सिंघा और उनकी टीम डॉ. वंकडवथ लावण्या, डॉ. अनन्या राव, एवं डॉ. हाशिल ने निभाई। रेडियो डायग्नोसिस विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. एनके बोधे ने बताया कि सीएसएफ-वेनस फिस्टुला अत्यंत दुर्लभ और हाल ही में पहचाना गया एसआईएच का कारण है। अब तक भारत में ऐसे पांच से भी कम मामलों का निदान और उपचार हुआ है।
आंबेडकर अस्पताल में दो साल पहले प्रदेश के पहले न्यूरो रेडियोलॉजिस्ट डॉ. चंद्रदेव साहू ने 50 वर्षीय मरीज का सफल इलाज किया। इसके बाद 22, 35 व 47 वर्षीय मरीज को नया जीवन दिया। डॉ. साहू ने बताया कि उन्होंने पहले मामले को एक कांफ्रेंस में प्रेजेंट भी किया है। इसमें उन्हें काफी सराहना मिली है। उन्होंने बताया कि देश का दूसरा मामला निम्हांस बेंग्लूरु में आया है। डीएसए मशीन से आंबेडकर में पहले भी दुर्लभ मामले का इलाज किया गया है। इससे जरूरतमंद मरीजों को बड़ी राहत मिल रही है।
Published on:
02 Aug 2025 12:51 am