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दूधाधारी मठ में सोने के मुकुट से श्रीराम का अभिषेक, 600 साल पुराना कंकाली मठ खुलेगा

Raipur: कंकाली मठ श्रद्धालुओं के लिए खुलेगा। जहां मां दुर्गा के अस्त्र-शस्त्रों का दर्शन करेंगे। इसी दिन शहर के दर्जनभर दशहरा मैदानों में अन्याय, अत्याचार का प्रतीक रावण धू-धूकर जलेगा।

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दूधाधारी मठ में सोने के मुकुट से श्रीराम का अभिषेक, 600 साल पुराना कंकाली मठ खुलेगा

दूधाधारी मठ (Photo Patrika)

Raipur: अधर्म पर धर्म की जीत का जश्न 2 अक्टूबर को मनाने के लिए राजधानी तैयार है। दशहरा मैदानों में दिन-रात तैयारियां चल रही हैं। शहर के प्राचीन दूधाधारी मठ में भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण का सोने के मुकुट से अभिषेक, विशेष शृंगार आरती होगी और साल में पहली बार 600 पुराना कंकाली मठ श्रद्धालुओं के लिए खुलेगा। जहां मां दुर्गा के अस्त्र-शस्त्रों का दर्शन करेंगे। इसी दिन शहर के दर्जनभर दशहरा मैदानों में अन्याय, अत्याचार का प्रतीक रावण धू-धूकर जलेगा।

रावण का कद लगातार बढ़ा है। कहीं रावण 50 से 100 फीट ऊंचा हुआ तो कहीं 30 से 70 फीट का। विजयादशमी पर्व पर शहर के दर्जनभर मैदानों में रावण, कुंभकरण और मेघनाद का दहन किया जाएगा। सतरंगी आतिशबाजी दर्शकों के लिए मुय आकर्षण का केंद्र होगी। शाम 6 से 8 बजे के बीच दशहरा उत्सव की धूम रहेगी। ऐतिहासिक रावणभाठा मैदान में रामलीला मंचन के साथ रावण का दहन और आतिशबाजी होगी। डब्ल्यूआरएस के मैदान में 110 फीट का रावण और 85-85 फीट का कुंभकरण और मेघनाद के पुतले पर क्रेन की सहायता से कलाकारों की टीम मुखौटा लगाएगी।

महामाया मंदिर के पंडित मनोज शुक्ल बताते हैं कि इस दिन नीलकंठेश्वर भगवान के रूप में नीलकंठ पक्षी देखना शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन नीलकंठ पक्षी को देखने के लिए लोग उसे ढूंढते हैं। सोनपत्ती देकर बड़ों से आशीर्वाद लेने की हमारी संस्कृति है।

राजधानी में रावण की एक पूरी पट्टी

राजधानी में रावण की एक पूरी पट्टी है। जहां रावण की स्थायी मूर्ति बनी हुई है। ऐतिहासिक रावणभाठा मैदान के अलावा रामकुंड मैदान और कटोरातालाब में बूढ़ीमाई मंदिर के करीब। इन जगहों का मैदान रावण के नाम दर्ज है।