11 अगस्त 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

Cancer Surgery: प्रदेश में पहली बार पाइपेक पद्धति से हुआ कैंसर मरीज का इलाज, 54 वर्षीय महिला को मिला नया जीवन

Cancer Surgery: पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कैंसर सर्जरी विभाग में पहली बार पाइपेक पद्धति से कैंसर से पीड़ित 54 वर्षीय महिला का सफल इलाज किया गया है।

महिला का इलाज करने वाली कैंसर सर्जरी विभाग की टीम (फोटो सोर्स- पत्रिका)
महिला का इलाज करने वाली कैंसर सर्जरी विभाग की टीम (फोटो सोर्स- पत्रिका)

Cancer Surgery: पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कैंसर सर्जरी विभाग में पहली बार पाइपेक पद्धति से कैंसर से पीड़ित 54 वर्षीय महिला का सफल इलाज किया गया है। डॉक्टरों का दावा है कि मध्यभारत के किसी सरकारी मेडिकल कॉलेज में इस पद्धति से पहली बार इलाज किया गया है। यह एडवांस तकनीक है। इस पद्धति में ज्यादातर मरीज एक सत्र के बाद दूसरा सत्र पूरा नहीं कर पाते। इस मरीज ने तीनों सत्र पूरा किया इसलिए यह यूनिक केस बन गया।

कैंसर सर्जन की टीम ने पेट की झिल्ली के कैंसर (पेरिटोनियल कार्सीनोमाटोसिस) का पाइपेक (प्रेसराइज्ड इंट्रापेरिटोनियल एरोसेल कीमोथैरेपी) तकनीक से इलाज किया। डॉक्टरों के अनुसार, कीमोथैरेपी की दवा को अत्यंत सूक्ष्म कणों में एरोसोल के रूप में पेट की गुहा में दबाव के साथ डाला जाता है। इससे दवा सीधे कैंसर कोशिकाओं तक पहुंचती है और पूरे शरीर में फैलने वाले दुष्प्रभावों से भी बचा जा सकता है।

इस प्रक्रिया में केवल दो छोटे-छोटे छेदों से दवा पहुंचाई जाती है, जिससे पारंपरिक सर्जरी की तुलना में मरीज को ज्यादा आराम मिलता है। कैंसर सर्जरी विभाग के एचओडी व मरीज का इलाज करने वाले डॉ. आशुतोष गुप्ता ने बताया कि यह पद्धति उन्नत पेट के कैंसर जैसे कि कोलन, अंडाशय व पेरीटोनियल मेटास्टेसिस में उपयोगी पाई गई है। यह एडवांस तकनीक केवल कुछ सेंटरों में उपलब्ध है। इसलिए यहां सफल इलाज मील का पत्थर है।

कीमोथैरेपी जहां कारगर नहीं, वहां असरदार

डॉक्टरों के अनुसार, पाइपेक सिस्टम वहां कारगर है, जहां सामान्य कीमोथैरेपी या सर्जरी कारगर नहीं होती। एक स्टडी के अनुसार, पाइपेक से इलाज लेने वाले 60-80 फीसदी मरीजों में काफी इंप्रूवमेंट देखा गया है। इस पद्धति से अधिकांश मरीज एक से अधिक सत्र नहीं ले पाते। दरअसल मरीज का चयन, इलाज के बाद होने वाली देखरेख, पोस्ट ऑपरेटिव केयर ठीक ढंग से नहीं होने पर जटिलता होने की संभावना बनी रहती है। इस पद्धति से सबसे पहले इलाज एम्स दिल्ली व टाटा मेमोरियल मुंबई में शुरू हुई थी।

कैंसर मरीजों की आशा की किरण

पाइपेक पद्धति से महिला मरीज का सफल इलाज न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे सेंट्रल इंडिया के कैंसर मरीजों के लिए आशा की एक नई किरण है। आंको सर्जरी विभाग के डॉक्टरों की मेहनत भी उल्लेखनीय है। -डॉ. विवेक चौधरी, डीन व सीनियर कैंसर विशेषज्ञ