
रायपुर पहुंचे अभिनेता चंकी पांडे ने कहा- गलतियों को दोहराना चाहता हूं ( Photo - Patrika )
Chunky Pandey interview: ताबीर हुसैन. बॉलीवुड अभिनेता चंकी पांडे जांजगीर में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे, जहां से लौटते वक्त उन्होंने रायपुर के एक होटल में पत्रिका से एक्सक्लूसिव बातचीत की। अपने मजाकिया अंदाज, बेबाकी और अनोखे किरदारों के लिए जाने जाने वाले चंकी ने बातचीत में ‘आखिरी पास्ता’ जैसे पॉपुलर रोल्स, विलेन और कॉमेडी के बीच संतुलन, नेपोटिज्म पर अपनी राय और नए कलाकारों के लिए सलाह पर खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि संघर्ष हर किसी की यात्रा का हिस्सा है और उनका मानना है कि कभी भी कुछ भी हो सकता है बस मेहनत और धीरज बनाए रखना चाहिए।
‘आखिरी पास्ता’ मजेदार अंदाज है। ये इम्प्रूवाइजेशन आपका होता है या डायरेक्टर की सोच?
इसमें मेरी बहुत कम भूमिका होती है। यह किरदार डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और मेरे को-स्टार्स को बहुत पसंद है। अक्षय और रितेश कई आइडिया देते हैं। मैं तो बस एक्टिंग करता हूं। हां, हर बार जो अलग अंदाज निकलता है, वह मेरे अंदर छिपा ‘आखिरी पास्ता’ ही है।
आपने हीरो, कॉमेडी और विलेन हर तरह के रोल किए हैं। क्या विलेन का किरदार ज्यादा मुश्किल होता है?
मेरी पत्नी तो कहती है कि मैं रियल लाइफ में ही विलेन हूं। (हंसते हुए) लेकिन हां, विलेन के रोल चुनौतीपूर्ण होते हैं। पर जो कॉमेडी कर सकता है, वह कुछ भी कर सकता है। कादर खान, परेश रावल, शक्ति कपूर जैसे कलाकार इसकी मिसाल हैं।
आपने किस निर्देशक के साथ काम करके सबसे ज्यादा सीखा?
साजिद खान मेरे फेवरेट हैं। मैंने उनके साथ पांच फिल्में की हैं। उनके साथ काम करना हमेशा मजेदार और क्रिएटिव रहा है। मैंने उनसे काफी कुछ सीखा।
नेपोटिज्म पर क्या कहेंगे? आपकी बेटी भी इंडस्ट्री में है।
(हंसते हुए) पांडे यहां, पांडे वहां! देखिए, चाहे स्टारकिड हो या आउटसाइडर। टिकने के लिए मेहनत जरूरी है। कोई शॉर्टकट नहीं है।
क्या कोई फिल्म है जिसे करने का आपको आज लगता हो कि नहीं करनी चाहिए थी?
नहीं, मुझे कोई पछतावा नहीं। हां, मैंने गलतियां भी की हैं लेकिन यही गलतियां मेरी जर्नी को मजेदार बनाती हैं। मौका मिले तो वही रास्ता फिर चुनूंगा।
नए कलाकारों को सलाह ?
मेहनत करते रहो, कभी गिवअप मत करो। मेरे पहले ब्रेक के लिए मैंने 4-5 साल संघर्ष किया। ब्रेक भी मुझे होटल के बाथरूम में मिला। जिंदगी पलटने में वक्त नहीं लगता। सैयारा में डेब्यू करने वाला मेरा भांजा भी 8 साल तक एक फिल्म का इंतजार करता रहा। इसलिए कभी आउट मत होइए। कभी भी ‘सिक्सर’ लग सकता है। इसलिए काम पर फोकस करो।
Updated on:
17 Nov 2025 02:16 pm
Published on:
17 Nov 2025 02:15 pm
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