इस पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट ने कई बार निर्देश दिए लेकिन, अधिकारियों को नागरिकों की परेशानी और हाईकोर्ट के निर्देशों की कोई परवाह तक नहीं है।एसोसिएशन के अध्यक्ष ने बताया कि केंद्र के कठोर नॉइज़ रूल्स बने हैं जिसमें कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है। लेकिन, छत्तीसगढ़ के अधिकारी राज्य के कोलाहल अधिनियम के तहत कार्रवाई करते हैं। हाईकोर्ट में लगाई गई जनहित याचिका में सरकार की तरफ से 29 जनवरी 2025 को कोर्ट को बताया कि एक समिति बनाई गई है। यह केंद्र के नॉइज़ रूल्स और राज्य के कोलाहल अधिनियम का अध्ययन कर कोलाहल अधिनियम में आवश्यक संशोधन दो माह में सुझाएगी। त्योहारी सीजन के आते ही कोर्ट से 18 अगस्त की सुनवाई में तीन हफ्ते का और समय मांगा है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष ने बताया कि अधिकारी और नेता कहते हैं कि डीजे बंद कराने से ऑपरेटरों की रोजी-रोटी चली जायेगी। जबकि यह कारोबार सीजनेबल होता है। इससे सालभर रोजगार नहीं मिलता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि अब त्योहारी सीजन में 24 घंटे कानफोडू डीजे के साथ मूर्तियों का विसर्जन भी होगा। वहीं भंडारा के दौरान और पंडालों के सामने तेज आवाज निकालने वाले स्पीकर भी प्रशासन के संरक्षण में बजेंगे। ठाकुर ने चेतावनी देते हुए कहा कि कुछ वर्ष पूर्व रायपुर में विसर्जन के दौरान डी.जे. की तेज आवाज से हार्ट अटैक से मौतें हुई थीं और यह किसी के साथ भी हो सकता है। छत्तीसगढ़ आरटीआई एसोसिएशन ने की सख्ती से रोक लगाने की मांग
Published on:
22 Aug 2025 12:41 am