Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

रायपुर में बड़ा साइबर रैकेट का भंडाफोड़! 10 हजार खातों से हो रहा था ठगी का पैसा ट्रांसफर, 50 करोड़ रुपए होल्ड

Patrika Raksha Kavach Abhiyaan: रायपुर में सबसे ज्यादा म्यूल बैंक खाताधारक हैं। अब तक 10 हजार से ज्यादा म्यूल बैंक खातों की पहचान हो चुकी है।

2 min read
Google source verification
रायपुर में बड़ा साइबर रैकेट का भंडाफोड़(photo-patrika)

रायपुर में बड़ा साइबर रैकेट का भंडाफोड़(photo-patrika)

CG Fraud News: छत्तीसगढ़ के रायपुर में सबसे ज्यादा म्यूल बैंक खाताधारक हैं। अब तक 10 हजार से ज्यादा म्यूल बैंक खातों की पहचान हो चुकी है। इन बैंक खातों का इस्तेमाल साइबर ठगी, ऑनलाइन सट्टा, ब्लैकमनी आदि को ठिकाने लगाने के लिए किया जाता है। महादेव सट्टा ऐप वाले एक-एक म्यूल खाताधारक को 5 से 10 हजार रुपए महीना देते थे।

CG Fraud News: साइबर ठगी से ब्लैकमनी तक

साइबर ठगी करने वाले भी हर ट्रांजेक्शन में कमीशन देते थे। इस लालच के चलते कई युवाओं ने अपने नाम से बैंक खाता खुलवाकर सटोरियों और ठगों को दे दिया है। म्यूल बैंक खातों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल साइबर ठगी के डिजिटल अरेस्ट और ऑनलाइन सट्टे में हुआ है। वर्ष 2019 से 2022 के बीच भी रायपुर में सैकड़ों म्यूल बैंक खातों का खुलासा हुआ था।

अब वर्ष 2024 से अब तक 10 हजार से ज्यादा म्यूल बैंक खातों का पता चल चुका है। साइबर ठगी के मामलों में रायपुर पुलिस अब तक 50 करोड़ से अधिक की राशि होल्ड करवा चुकी है। यह राशि पीड़ितों की है जिन्हें साइबर ठगों ने अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर किया था। ये राशि पीड़ितों को वापस नहीं मिल पाई है।

जितने मामले, उतनी गिरफ्तारी नहीं

जितने म्यूल बैंक खातों का पुलिस खुलासा कर चुकी है, उतने आरोपियों की अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है। कई मामलों की अब तक जांच ही चल रही है। पुलिस 300 से अधिक लोकल म्यूल खाताधारकों को गिरफ्तार कर चुकी है। अन्य बैंक खाताधारकों की भूमिका की जांच की जा रही है।

कई म्यूल खाताधारकों को गिरफ्तार किया जा चुका है। जांच के दौरान जिन खाताधारकों के खिलाफ साक्ष्य मिलते हैं, उन्हें गिरफ्तार किया जाता है। साइबर ठगी के मामलों में पुलिस लगातार जांच कर रही है। साइबर रेंज थाना की टीम इसमें काम कर रही है।

क्या है म्यूल बैंक खाता

अपने नाम से बैंक खाता खुलवाते हैं। फिर इसका संचालन दूसरे करते हैं। खाताधारक को अपना खाता देने के लिए किराए के रूप में 5 से 10 हजार रुपए महीना दिया जाता है। इन खातों के पासबुक और एटीएम कार्ड सब दूसरों के पास होते हैं।

बिना मर्जी के भी खुल गए हैं खाते

सटोरियों और साइबर ठगों के एजेंटों ने कई बैंक खाते खाताधारकों के मर्जी के बिना ही खोल दिए हैं। खमतराई, गुढ़ियारी आदि थानों में एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है। इन मामलों में आरोपियों ने खातेधारकों की पहचान संबंधी दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, मोबाइल नंबर, राशन कार्ड आदि दस्तावेज धोखे से लेकर बैंक खाता खुलवाते हैं। इसमें बैंककर्मियों की मिलीभगत भी रहती है। हालांकि बैंककर्मियों पर एफआईआर के बाद नए म्यूल बैंक खाते खुलने के मामले कम होने लगे हैं।