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राजनगर–राजसमंद हाइवे बना ‘डेथ ज़ोन’, ट्रकों की अवैध पार्किंग बनी मौत का जाल

राजनगर से राजसमंद को जोड़ने वाला फोरलेन हाइवे अब लोगों के लिए मौत का रास्ता बनता जा रहा है।

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Rajnagar Highway News

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राजसमंद. राजनगर से राजसमंद को जोड़ने वाला फोरलेन हाइवे अब लोगों के लिए मौत का रास्ता बनता जा रहा है। पिछले कुछ महीनों में इस मार्ग पर हुई लगातार दुर्घटनाओं ने स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ा दी है। ट्रकों की अवैध पार्किंग, प्रशासन की ढिलाई और सड़क सुरक्षा मानकों की अनदेखी ने इस मार्ग को ‘डेथज़ोन’ बना दिया है।

हादसों की बढ़ती श्रृंखला, दो की हो चुकी मौत

ताज़ा हादसा इसी माह की शुरुआत में हुआ, जब रात के समय एक तेज़ रफ्तार कार सड़क किनारे खड़े ट्रक से जा टकराई। टक्कर इतनी ज़ोरदार थी कि उदयपुर के दो युवकों की मौके पर ही मौत हो गई। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह कोई पहली घटना नहीं थी। इससे पहले भी इसी हाइवे पर कई हादसे हो चुके हैं, जिनमें कई लोग घायल और कुछ की जान जा चुकी है।

एक स्थानीय निवासी कमलेश चौधरी बताते हैं- यह सड़क दिन में भी डरावनी लगती है, लेकिन रात के समय तो जैसे मौत के साए से गुजरना पड़ता है। अंधेरे में ट्रक खड़े रहते हैं, बिना रिफ्लेक्टर, बिना पार्किंग लाइट। ज़रा सी लापरवाही और हादसा तय है।”

सर्विस लाइन के बावजूद मुख्य सड़क पर ट्रक

राजनगर–राजसमंद हाइवे पर वाहनों की पार्किंग के लिए सर्विस लाइन बनाई गई है, ताकि मुख्य सड़क पर जाम या खतरा न हो। लेकिन हकीकत यह है कि अधिकांश ट्रक चालक सर्विस लाइन का इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि सीधे मुख्य मार्ग पर ही वाहन खड़े कर देते हैं। इससे रात में गुजरने वाले वाहनचालक ट्रक को समय रहते देख नहीं पाते और दुर्घटनाएँ हो जाती हैं। स्थानीय दुकानदार भरत गुर्जर का कहना है कि रात को कई ट्रक बिना किसी चेतावनी लाइट या रिफ्लेक्टर के खड़े रहते हैं। तेज़ रफ्तार में आने वाले वाहन उनसे टकरा जाते हैं। पुलिस और प्रशासन अगर सख्त कार्रवाई करे, तो हादसे रुक सकते हैं।

लोगों में बढ़ता आक्रोश, उठी कार्रवाई की मांग

लगातार हो रहे हादसों से स्थानीय लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों और व्यापारियों ने जिला प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही अवैध पार्किंग पर रोक नहीं लगाई गई, तो वे सड़क पर उतरने को मजबूर होंगे। लोगों की मांग है कि ट्रकों की अवैध पार्किंग पर भारी जुर्माना लगाया जाए। रात में गश्त और निगरानी बढ़ाई जाए। पार्किंग जोन की पहचान कर उसे अनिवार्य किया जाए।

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

  • अब तक ना तो परिवहन विभाग ने और ना ही पुलिस प्रशासन ने इस समस्या पर कोई ठोस कदम उठाया है।
  • हैरानी की बात यह है कि सर्विस लाइन होने के बावजूद मुख्य मार्ग पर ट्रकों की पार्किंग जारी है।

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि ट्रक चालकों पर तत्काल कार्रवाई और नियमित निरीक्षण की व्यवस्था नहीं की गई, तो यह हाइवे आगे भी लोगों की जान लेता रहेगा।

सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों की राय

सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ अरुण रावत के अनुसार, अंधेरे इलाकों में खड़े भारी वाहनों के लिए रिफ्लेक्टर, चेतावनी संकेत और पार्किंग लाइट अनिवार्य होनी चाहिए। कई बार चालक थकान के कारण वाहन किनारे खड़ा कर देते हैं, लेकिन उचित संकेत न होने से पीछे से आने वाले वाहन उन्हें नहीं देख पाते। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि ट्रक चालकों के लिए विश्राम स्थल और सुरक्षित पार्किंग ज़ोन विकसित किए जाएं। सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जाए ताकि नियम तोड़ने वालों पर तुरंत कार्रवाई हो सके।

संभावित समाधान

समस्याओं के समाधान के लिए विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों ने कुछ ठोस सुझाव दिए हैं —

  • हाइवे पेट्रोलिंग टीम की तैनाती: रात के समय विशेष गश्त कर अवैध पार्किंग वाले वाहनों पर त्वरित कार्रवाई की जाए।
  • जुर्माना प्रणाली को कड़ा बनाया जाए: मुख्य सड़क पर वाहन खड़ा करने पर 5,000 से 10,000 तक का जुर्माना लगे।
  • सीसीटीवी और रिफ्लेक्टर मार्किंग: पूरे हाइवे पर निगरानी कैमरे लगाए जाएँ और रिफ्लेक्टिव लाइनें दोबारा पेंट की जाएं।
  • ट्रक चालकों के लिए अलग विश्राम स्थल: राजनगर व राजसमंद के बीच ट्रक पार्किंग यार्ड विकसित किया जाए, ताकि मुख्य मार्ग सुरक्षित रहे।
  • जागरूकता अभियान: परिवहन विभाग द्वारा ट्रक चालकों, माल परिवहन संघों और स्थानीय लोगों के बीच सड़क सुरक्षा पर कार्यशालाएँ आयोजित की जाएँ।

डेथ जोन बनने के पीछे गहरी अनदेखी

राजनगर–राजसमंद फोरलेन हाइवे राज्य के प्रमुख मार्गों में से एक है, जहाँ से प्रतिदिन सैकड़ों ट्रक और निजी वाहन गुजरते हैं। लेकिन रात में अपर्याप्त रोशनी, टूटे सिग्नल बोर्ड, और नाकारा ट्रैफिक व्यवस्था ने इसे अत्यधिक जोखिमपूर्ण बना दिया है। प्रशासनिक उदासीनता के चलते हाइवे सुरक्षा केवल कागज़ों में सिमटकर रह गई है।

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