
DM Arun Haseeja
रेलमगरा. तीर्थस्थली मातृकुण्डिया बांध के डूब क्षेत्र से प्रभावित किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। शनिवार रात को प्रशासन ने बांध के 6 गेट खोलकर पानी की निकासी शुरू कर दी, जबकि दूसरी ओर किसान अपने 26वें दिन भी धरने पर डटे रहे। शनिवार देर रात करीब 9 बजे सिंचाई विभाग ने मातृकुण्डिया बांध के छह गेट डेढ़-डेढ़ फीट तक खोल दिए, ताकि जल स्तर को नियंत्रित किया जा सके। रातभर इन गेटों से अतिरिक्त पानी की निकासी की जाती रही। इससे मातृकुण्डिया से आरणी की ओर जाने वाला मुख्य सड़क मार्ग एनिकट के ओवरफ्लो होने से अवरुद्ध हो गया था। रविवार सुबह गेट बंद होने के बाद सड़क पर वाहनों की आवाजाही पुनः शुरू हो गई।
इससे पहले, संभागीय आयुक्त के निर्देशन में उदयपुर स्थित कार्यालय में राजसमंद, चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा जिलों के कलेक्टर, जनप्रतिनिधि और सिंचाई विभाग के अधिकारी एक साझा बैठक में शामिल हुए थे। बैठक में मातृकुण्डिया बांध के डूब क्षेत्र से प्रभावित किसानों की समस्याओं पर विस्तृत चर्चा की गई। इस दौरान एक कमेटी गठित करने का निर्णय लिया गया, जो प्रभावित काश्तकारों की मांगों और समस्याओं का समाधान तलाशेगी। कमेटी ने सुझाव दिया था कि बांध का जल स्तर कम किया जाए तथा सीपेज समस्या के समाधान के लिए ट्रेंच वॉल का निर्माण कराया जाए। इन्हीं निर्णयों के आधार पर शनिवार रात को सिंचाई विभाग ने पानी की निकासी की कार्रवाई शुरू की।
दूसरी ओर, किसानों ने कमेटी के निर्णय पर असंतोष जताया है। उनका कहना है कि प्रशासन ने उनकी मुख्य मांगों को अब तक पूरा नहीं किया है। इसी कारण धरना समाप्त नहीं किया जाएगा। रविवार को भी किसानों का आंदोलन अपने 26वें दिन जारी रहा। बड़ी संख्या में प्रभावित काश्तकार धरना स्थल पर जुटे रहे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपनी मांगों पर अड़े रहे। किसानों ने चेतावनी दी है कि जब तक उन्हें समुचित मुआवजा और पुनर्वास व्यवस्था नहीं मिलती, वे आंदोलन जारी रखेंगे।
रविवार देर रात सिंचाई विभाग ने बनास नदी पेटे में एहतियात बरतने की सूचना जारी की। इसमें लोगों से अपील की गई है कि बांध के गेट खोले जाने के बाद नदी किनारे जाने से बचें और सुरक्षा उपायों का पालन करें।
Published on:
10 Nov 2025 03:23 pm
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