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बारिश ने खूब बरसाए बादल, पर सूखे रह गए तालाब

जिले में इस बार मानसून ने जमकर बरसात की, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि कई तालाब अब भी सूखे पड़े हैं। आसमान से झमाझम बारिश होने के बावजूद गांवों के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं।

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राजसमंद. जिले में इस बार मानसून ने जमकर बरसात की, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि कई तालाब अब भी सूखे पड़े हैं। आसमान से झमाझम बारिश होने के बावजूद गांवों के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। कारण सिंचाई विभाग की अनदेखी, अवैज्ञानिक निर्माण और तालाबों पर बढ़ता अतिक्रमण। जिले के कई हिस्सों में मानसून ने इस बार औसत से अधिक वर्षा दी, फिर भी कई तालाब अपनी भराव क्षमता तक नहीं पहुंच पाए। ग्रामीणों के अनुसार यह समस्या एक-दो साल की नहीं, बल्कि वर्षों पुरानी है। इन तालाबों की हालत हर साल रीते, फटे और उपेक्षा से जर्जर जैसी ही रहती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सिंचाई विभाग ने अब तक यह पता लगाने की जहमत नहीं उठाई कि आखिर इतनी बारिश के बावजूद तालाबों में पानी क्यों नहीं भर रहा। विभागीय अधिकारी हर साल एक ही जवाब देते हैं जांच करवाई जा रही है। पर यह जांच कब पूरी होगी, कोई नहीं जानता।

ग्रामीणों के आरोप: एनिकट और चेकडैम ने रोका पानी का रास्ता

ग्रामीण बताते हैं कि तालाबों के सूखने की सबसे बड़ी वजह एनिकट, चेकडैम और अनियोजित निर्माण हैं। इन संरचनाओं ने पानी की स्वाभाविक आवक को रोक दिया है। कई जगह तो नालों और जलमार्गों पर कब्जे हो चुके हैं, जिससे तालाब तक पानी पहुंच ही नहीं पाता।

छापरी तालाब : ‘भराव क्षमता 10 फीट’, लेकिन सूखा पड़ा

धनेरियागढ़ क्षेत्र का प्रसिद्ध छापरी तालाब इस बार पूरी तरह सूखा है। इसकी भराव क्षमता 10 फीट है, लेकिन इसमें एक बूंद पानी नहीं है। जानकारी के अनुसार नंदसमंद से निकलने वाली फीडर लाइन से इस तालाब में पानी भरने की व्यवस्था की गई थी, मगर नाथद्वारा के पास फीडर में पहाड़ी मिट्टी गिर जाने से प्रवाह बाधित हो गया। नतीजा नीचे के तालाबों तक पानी पहुंच ही नहीं पाया।

नाहर सागर और रूपसागर: 60 किमी का जलाशय, पर पानी नदारद

कुंवारिया मुख्यालय पर स्थित नाहर सागर तालाब, जो करीब 60 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है, अब केवल पेंदे में बने गड्ढों तक सीमित रह गया है। वहीं रूपसागर तालाब की हालत और भी बदतर है। इसमें मात्र 10 से 15 प्रतिशत पानी ही शेष है। ग्रामीणों के अनुसार, नाहर सागर के आसपास की पहाड़ियों में अवैध खुदाई और नालों पर कब्जे ने तालाब की जलधारा को पूरी तरह रोक दिया है।

देवरीखेड़ा तालाब: केवल 20 प्रतिशत पानी बचा

वणाई ग्राम पंचायत का देवरीखेड़ा तालाब भी सूखेपन की मार झेल रहा है। इसकी भराव क्षमता के मुकाबले अब केवल 20 प्रतिशत पानी शेष है। यहां भी स्थिति वहीं चेकडैम और एनिकट ने बारिश के पानी की राह बंद कर दी है। वर्षा जल की स्वाभाविक आवक बाधित होने से तालाब हर साल कम पानी में सिमटता जा रहा है।

रेलमगरा का चोकड़ी तालाब: सिंचाई विभाग की सफाई भूल

रेलमगरा उपखंड का चोकड़ी तालाब (भराव क्षमता 9 फीट) इस बार पूरी तरह सूखा पड़ा है। आमतौर पर यह तालाब नंदसमंद बांध के ओवरफ्लो होने के बाद ओड़ा क्षेत्र से गुजरने वाली माइनर नहर से भरता है। मगर इस बार सिंचाई विभाग ने फीडर की सफाई तक नहीं करवाई। भामाखेड़ा और यादव कॉलोनी के पास फीडर गंदगी से अटी पड़ी है, जिससे पानी का प्रवाह रुक गया और तालाब प्यासा रह गया।

ग्रामीणों की पुकार: कब जागेगा विभाग?

स्थानीय निवासियों ने बार-बार विभाग से गुहार लगाई है कि तालाबों की फीडर नहरों की सफाई और अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही तुरंत की जाए। परंतु अब तक न तो कोई ठोस कार्रवाई हुई है और न ही जवाबदेही तय हुई है। धनेरियागढ़ के किसान भेरूसिंह चौहान का कहना है, “हमारे खेतों की सिंचाई का सहारा यही तालाब थे। अब तालाब सूख गए हैं, तो हमें पानी के लिए टैंकर पर निर्भर रहना पड़ता है।”

लोगों की चिंता: पानी की कमी से फसलों पर संकट

तालाबों के सूखने से न केवल पेयजल की समस्या बढ़ रही है, बल्कि खेती पर भी गहरा असर पड़ रहा है। जिन क्षेत्रों में तालाबों का पानी सिंचाई के लिए इस्तेमाल होता था, वहां अब खेत सूखे पड़े हैं। किसान खरीफ की फसलों को लेकर चिंतित हैं।

विभाग का रटा-रटाया जवाब

जब इस बारे में सिंचाई विभाग के अधिकारियों से बात की गई तो उनका कहना था कि “फीडरों की सफाई और अवरोध हटाने की जांच जारी है।” लेकिन यह जांच कब पूरी होगी, इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला।

जनता का सवाल : जांच नहीं, समाधान चाहिए

जिले के कई सामाजिक संगठनों ने अब आवाज उठानी शुरू कर दी है। उनका कहना है कि हर साल जांच के नाम पर फाइलें खुलती और बंद हो जाती हैं, लेकिन ज़मीन पर हालात जस के तस बने रहते हैं। अगर विभाग ने समय रहते फीडर की मरम्मत और सफाई कर दी होती, तो आज गांवों में पानी की किल्लत नहीं होती।

इनका कहना है

कुछ जगहों पर एनीकट, चेकडेम आदि की समस्या रही है। इस कारण से पानी नहीं आ पाने से तालाब सूखे हैं। फिर भी विभागीय स्तर पर इसको चेक करवाने की प्रक्रिया चल रही है। तालाबों में पानी नहीं आने के प्रमुख कारण खोजे जाएंगे और फिर इस दिशा में काम किया जाएगा।

मानसिंह, अधिशासी अभियंता, सिंचाई विभाग, राजसमंद