
कुंभलगढ़-रावली-टॉडगढ़ अभयारण्य, पत्रिका फोटो
Kumbhalgarh-Ravali-Todgarh Sanctuary: राजस्थान के वन्यजीव संरक्षण की तस्वीर में चौंकाने वाला विरोधाभास उभरकर सामने आया है। जहां जयपुर के झालाना और आमागढ़ रिजर्व को 15 करोड़ 41 लाख रुपए की सौगात मिली, वहीं 35 गुना बड़े कुंभलगढ़-रावली-टॉडगढ़ अभयारण्य को महज 4 करोड़ 15 लाख रुपए का ही आवंटन किया गया है। ऐसे में कुंभलगढ़ के जंगलों में पर्यटन के भविष्य पर बड़ा संकट मंडराने लगा है।
कुंभलगढ़ बाघों के लिए उपयुक्त प्राकृतिक आवास और ऐतिहासिक विरासत का संगम है। इसका क्षेत्रफल लगभग 1200 वर्ग किलोमीटर है। राज्य सरकार ने वर्ष 2017-18 के बजट भाषण में प्रोजेक्ट टाइगर की तर्ज पर प्रोजेक्ट लेपर्ड की घोषणा की थी। इसके तहत प्रदेश के 8 संरक्षित क्षेत्र शामिल किए गए, इनमें कुंभलगढ़ रावली टॉडगढ़ वन्यजीव अभयारण्य (राजसमंद), झालाना और आमागढ़ रिजर्व (जयपुर) प्रमुख हैं। इस प्रोजेक्ट की स्टीयरिंग कमेटी के अध्यक्ष राज्य के वन मंत्री हैं।
इसके बाद राज्य सरकार ने दूसरी एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया, जिसे 31 अक्टूबर 2024 तक रिपोर्ट सौंपनी थी। राठौड़ ने बताया कि दूसरी कमेटी ने भी पहली रिपोर्ट की तरह लिखा कि कुंभलगढ़ में शाकाहारी एवं मांसाहारी वन्यजीवों की संख्या पर कोई ठोस वैज्ञानिक अध्ययन नहीं हुआ है, जबकि भारतीय वन्य जीव संस्थान, देहरादून ने 2023 में वैज्ञानिक अध्ययन कर स्पष्ट किया कि कुंभलगढ़ क्षेत्र में सांभर हिरणों की पर्याप्त संख्या है, जो उपयुक्त है। कमेटी ने अपने प्रस्ताव में 596.20 वर्ग किलोमीटर को कोर एरिया और 800.86 वर्ग किलोमीटर को बफर जोन के रूप में निर्धारित किया।
कुंभलगढ़ फाउंडेशन के विधिक सलाहकार ऋतुराज सिंह राठौड़ कि बताया कि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी में बजट में हुए भेदभाव का खुलासा हुआ है। पूर्व सांसद दिया कुमारी ने कुंभलगढ़ और टॉडगढ़ को टाइगर रिजर्व घोषित करने की मांग की थी। इसके बाद नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) ने वर्ष 2021 में कमेटी गठित की, जिसने सर्वे रिपोर्ट जारी की। 4 अगस्त, 2023 को एनटीसीए ने कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व को सैद्धांतिक मंजूरी दी और राज्य सरकार को कोर व बफर जोन निर्धारित करने के निर्देश दिए थे।
विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले समय में राजस्थान में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वाइल्ड लाइफ सेंचुरी ही मुख्य आकर्षण का केंद्र बनेगी। अन्य पारंपरिक पर्यटन स्थलों से पर्यटकों का मोहभंग होने से अब वन्यजीव पर्यटन को नया आयाम देने की तैयारी है। कुंभलगढ़ जैसे समृद्ध प्राकृतिक एवं ऐतिहासिक क्षेत्र इस दिशा में बड़ा योगदान दे सकते हैं।
Published on:
26 Oct 2025 10:58 am
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