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आजम खान के बेटे अब्दुल्ला को बड़ा झटका, फर्जी पासपोर्ट मामले में FIR रद्द करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

समाजवादी पार्टी (सपा) नेता आजम खान के बेटे और पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम खान को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अब्दुल्ला आजम खान के खिलाफ पासपोर्ट हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल के आरोप में दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया।

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अब्दुल्ला आजम, PC- IANS

रामपुर। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के बेटे और पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम खान को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने पासपोर्ट हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल के आरोप में दायर FIR रद्द करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल के आरोप में दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। अब्दुल्ला आजम खान ने हाईकोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। गुरुवार को मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अपनी ओर से हाईकोर्ट के आदेश में कोई दखल देने से साफ इनकार किया।

केस का ट्रायल हो चुका था पूरा

जस्टिस सुंदरेश ने अब्दुल्ला आजम खान को राहत देने से इनकार करते हुए कहा, 'ट्रायल कोर्ट पर यकीन कीजिए। मामले को ट्रायल कोर्ट में तय होने दीजिए। अब जब ट्रायल पूरा हो गया है, तो हम दखल नहीं दे सकते हैं।'

इससे पहले, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला आजम खान की अर्जी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस केस में पूरा ट्रायल हो चुका है।

2021 का है मामला

अब्दुल्ला आजम खान से जुड़े फर्जी दस्तावेज मामले में 9 सितंबर 2021 को आरोप तय किए गए थे। इस मामले में रामपुर की सिविल लाइन थाना पुलिस ने अब्दुल्ला के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।

एफआईआर में आरोप लगाया गया कि अब्दुल्ला आजम खान ने फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर पासपोर्ट बनवाया, जिसमें उनकी जन्मतिथि 30 सितंबर 1990 दर्ज है, जबकि स्कूल रिकॉर्ड के मुताबिक उनकी वास्तविक जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 है।

दो पैन कार्ड मामले में भी मिला था झटका

दो पैन कार्ड मामले में भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला आजम खान को झटका दिया था। अब्दुल्ला आजम ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और रामपुर एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रहे ट्रायल में संपूर्ण कार्यवाही को रद्द करने की मांग की थी। पक्षों को सुनने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। इसके बाद जुलाई में याचिका को खारिज कर दिया था।