Ratlam News : 'नजर के सामने चंद कदम की दूरी पर शिक्षा का मंदिर है, फिर भी नामुम्किन सी दूरी'। पत्रिका के कैमरे में कैद हुई तस्वीर में दिख रही मासूम बच्ची शायद अपने मन में ऐसा ही कुछ सोचते हुए अपने स्कूल जाने की आस में उसे देख रही होगी। आजादी से कई साल बाद कई बच्चियां अपने बड़ों या समाज की रूढ़िवादी सोच के चलते पढ़ नहीं सकीं, लेकिन अब उस मानसिकता में तो बदलाव हुआ है। बेटों के साथ बेटियों को भी अब उनके माता-पिता शिक्षा अर्जित कराने की सोच रख रहे हैं। यानी एक बेटी ने भविष्य के इस रोढ़े को तो पार कर लिया, लेकिन उनके भविष्य पर इससे बड़ा रोढ़ा शासन में बैठे जिम्मेदारों की वो नींद है, जिसे कई लोग मिलकर खोलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन लापरवाह जिम्मेदार जागने को तैयार नहीं हैं।
इसी का खामियाजा आज एक तस्वीर के जरिए आपके सामने आया है। दरअसल, ये तस्वीर भारत का ह्रदय कहे जाने वाले राज्य मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के अंतर्गत आने वाले ग्राम मांगरोल की है, जहां के लोग आजादी के 78 साल बाद भी शासन से एक मामूली कुछ मीटर की पुलिया बनवाने की आस लगाए बैठे हैं। स्थानीय लोगों ने यहां के बच्चों की शिक्षा से लेकर खुद के मूल अधिकारों का हवाला दिया। कई बार हुए हादसों का जिक्र भी किया तो कई बार जल भराव के बीच आपात स्थिति में नाला पार करने में आने वाली समस्याओं को भी गिनाया, बावजूद इसके अबतक किसी जिम्मेदार को ग्रामीणों की ये गंभीर समस्या विचार करने योग्य ही नहीं लगी। हर पांच साल में यहां वोट मांगने आए जन प्रतिनिधि पुलिया का वादा करके तो जाते हैं, लेकिन अगली बार वोट मांगने तक लौटकर नहीं आते।
हर साल बारिश के दिनों में अकसर ये नाला उफान पर रहता है, जिससे इसपर आवागमन बंद हो जाता है। नाले के दोनों तरफ स्कूल हैं, लेकिन नाले के उफान पर आने से बच्चे स्कूल नहीं जा पाते। साथ ही, गांव से बाहर स्कूल-कॉलेज जाने वाले बच्चों को भी भी खासा असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, कृषि प्रधान देश के इस गांव में रहने वाले किसानों का खेतों तक पहुंचना भी असंभव हो जाता है।
ग्रामीणों का कहना है कि, गांव में बनी पुरानी पुलिया काफी छोटी है, जिसमें से पानी निकलने की लिए पर्याप्त जगह नहीं है। ऐसे में नाला उफान पर आने से उसका पानी पुलिया के ऊपर से बहने लगता है। ऐसे में अकसर गांव के बड़े लोग अपनी जान जोखिम में डालकर बहाव के बीच से पुलिया पार करते हैं। लेकिन कई बार बहाव काफी तेज होने के कारण किसी का भी पुलिया के ऊपर से गुजर पाना असंभव हो जाता है, जिसके चलते यहां अंदर के लोग गांव में कैद होकर रह जाते हैं, जबकि बाहर फंसे गए लोग जल स्तर कम होने तक कई बार एक-एक दो-दो दिन के लिए घरों से कुछ मीटर की दूरी पर ही असहाय खड़े रह जाते हैं।
वहीं, इस पुरानी पुलिया की हालत भी खस्ता हो चली है। रोजाना इसपर गड्ढे भी बढ़ते जा रहे है। मार्ग पतला और गड्ढे अधिक होने पर बारिश के दिनों में गड्ढे बचाने के चक्कर में संतुलन बिगड़ने पर कई बार वाहन चालक नाले में गिकर घायल तक हो चुके हैं। इन सब समस्याओं को लेकर स्थानीय लोगों ने एक बार फिर प्रशासन से नई पुलिया बनाने की गुहार लगाई है, ताकि वो भी देश के आम लोगों की तरह जीवन गुजार सकें। देखना दिलचस्प होगा कि, क्या अब भी किसी जिम्मेदार की नींद खुलती है या नहीं?
Published on:
03 Sept 2025 04:03 pm