Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Ganadhipa Sankashti 2025 गणेश भक्तों के लिए खास दिन, जानिए व्रत का महत्व , व्रत विधि और तिथि

Ganadhipa Sankashti 2025: गणाधिप संकष्टी चतुर्थी 8 नवंबर 2025,शनिवार को मनाई जाएगी। इस दिन भक्त विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा-अर्चना कर जीवन के सभी संकटों से मुक्ति की कामना करते हैं।

2 min read
Google source verification

भारत

image

MEGHA ROY

Nov 07, 2025

Lord Ganesha, Ganadhipa Sankashti Chaturthi, Ganesha worship in Hinduism,

Lord Ganesha vrat 2025|फोटो सोर्स - Freepik

Ganadhipa Sankashti 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने आने वाली संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित होती है, लेकिन गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का महत्व विशेष माना जाता है। इस साल गणाधिप संकष्टी चतुर्थी 8 नवंबर 2025,शनिवार को मनाई जाएगी। इस दिन भक्त विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा-अर्चना कर जीवन के सभी संकटों से मुक्ति की कामना करते हैं। माना जाता है कि सच्चे मन से व्रत और पूजा करने से बुद्धि, धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानें, इस दिन की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और व्रत का धार्मिक महत्व।

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी 2025 तिथि और समय

चतुर्थी तिथि का समापन: 9 नवंबर 2025, प्रातः 4:25 बजे
चंद्रोदय का समय: शाम 7:59 बजे

पूजा-व्रत विधि

  • तस्वीर रखें। उन्हें गंगाजल से स्नान कराएं और पीले चंदन का तिलक लगाएं।
  • गणेश जी को लाल या पीले फूल, दूर्वा, फल और मोदक का भोग चढ़ाएं। इसके बाद श्रद्धा से ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करें और गणाधिप संकष्टी व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
  • दिनभर व्रत रखें और शाम को चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को जल अर्पित करें। इसके बाद व्रत का पारण करें और सात्विक भोजन या फलाहार ग्रहण करें। पूजा के अंत में भगवान गणेश से क्षमा मांगना न भूलें।

विशेष उपाय

  • इस दिन गणेश चालीसा या संकटमोचन गणेश स्तोत्र का पाठ अत्यंत शुभ फल प्रदान करता है।
  • संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले भक्त दूर्वा अर्पित करते हुए “संतानप्राप्त्यर्थं नमः” कहकर प्रार्थना करें।
  • आर्थिक बाधाओं से मुक्ति के लिए गणपति को गुड़ और चने का भोग लगाना लाभदायक होता है।
  • संध्या के समय घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाना भी शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना गया है।

भगवान गणेश के मंत्र

ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥

दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥

ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

गणेश स्तोत्र मंत्र

शृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम् ।

येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि ॥

चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते ।

विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम् ॥

तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थितः ।

साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात् ॥

चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता ।

सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते ॥

अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक ।

तेन त्वं ब्रह्मभूतस्तं शन्तियोगमवापस्यसि ॥

इत्युक्त्वा गणराजस्य ददौ मन्त्रं तथारुणिः ।

एकाक्षरं स्वपुत्राय ध्यनादिभ्यः सुसंयुतम् ॥

तेन तं साधयति स्म गणेशं सर्वसिद्धिदम् ।

क्रमेण शान्तिमापन्नो योगिवन्द्योऽभवत्ततः ॥

व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर व्रत रखकर गणेश जी की आराधना करने से जीवन के सभी संकट और विघ्न दूर हो जाते हैं। यह दिन उन लोगों के लिए विशेष होता है जो मनोकामनाओं की पूर्ति, सुख-समृद्धि और कार्यसिद्धि की इच्छा रखते हैं।‘विघ्नहर्ता’ गणेश जी इस व्रत से अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों के जीवन में आनंद, सौभाग्य और स्थिरता प्रदान करते हैं।


बड़ी खबरें

View All

धर्म और अध्यात्म

धर्म/ज्योतिष

ट्रेंडिंग