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पिंक क्लीनिक पर एक साल में 47 सर्जरी, 56 ब्रेस्ट कैंसर मरीजों की जान बची, 314 का परीक्षण

क्लीनिक के एक वर्ष पूरे होने पर बीएमसी प्रबंधन ने साझा किए आंकड़े सागर. सर्जरी विभाग में महिलाओं के लिए अलग से शुरू की गई पिंक क्लीनिक को एक साल पूरे हो गए। इस अवसर पर बीएमसी प्रबंधन ने क्लीनिक पर आई महिलाओं के इलाज, जांच व ऑपरेशन का डेटा साझा किया है। आंकड़ों में […]

सागर

Nitin Sadaphal

Aug 08, 2025

पिंक क्लीनिक
पिंक क्लीनिक

क्लीनिक के एक वर्ष पूरे होने पर बीएमसी प्रबंधन ने साझा किए आंकड़े

सागर. सर्जरी विभाग में महिलाओं के लिए अलग से शुरू की गई पिंक क्लीनिक को एक साल पूरे हो गए। इस अवसर पर बीएमसी प्रबंधन ने क्लीनिक पर आई महिलाओं के इलाज, जांच व ऑपरेशन का डेटा साझा किया है। आंकड़ों में बताया गया है कि ब्रेस्ट की विभिन्न बीमारियों को लेकर क्लीनिक में 314 महिलाएं पहुंची, जिसमें से 56 महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की पुष्टि की गई। 56 में से 47 महिलाओं की स्थानीय स्तर पर सर्जरी की गई और उनकी जान बचाई गई। सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील सक्सेना ने कहा कि इन कैंसर मरीजों की जान इसलिए बच सकी कि महिलाएं समय रहते क्लीनिक पर जांच कराने पहुंची और कैंसर जैसी घातक बीमार का समय पर इलाज हो पाया। डॉ. सुनील सक्सेना ने बताया कि जांच में देरी से कैंसर शरीर में फैल जाता है, जिससे मरीज की समस्या बढ़ जाने पर उन्हें मुंबई, भोपाल व इंदौर ऑपरेशन के लिए भेजना पड़ता है।

महिलाओं की झिझक दूर करने खोली थी क्लीनिक

बीएमसी डीन डॉ. पीएस ठाकुर ने कहा कि महिलाएं ब्रेस्ट की बीमारियों को लेकर अक्सर कतराती हैं। इसलिए 21 जून 2024 को सेपरेट क्लीनिक खोली गई थी। जहां अधिकांश स्टाफ महिलाएं हैं। हर उम्र की महिलाएं व युवतियां पहुंचती हैं। क्लीनिक पर महिलाओं की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाता है। जहां सिर्फ ब्रेस्ट की गठानों व अन्य समस्याओं का समाधान विशेषज्ञ डॉक्टर्स करते हैं। प्रत्येक बुधवार सुबह 10.30 से दोपहर 1 बजे तक क्लीनिक खुलती है।

संभाग में हर दिन 4 महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की पुष्टि

बुंदेलखंड में ब्रेस्ट कैंसर से पीडि़त महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है और महिलाओं की झिझक के कारण कैंसर घातक हो रहा है। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स ने कहा कि महिलाएं यदि जागरुकता दिखाएं तो समय रहते बीमारी का पता लगाया जा सकता है और सागर में ही बिना खर्चे के उनके ऑपरेशन हो सकते हैं। संभाग में हर दिन 4 महिलाओं में इसकी पुष्टि हो रही है।