नेहा नगर मकरोनिया स्थित महावीर दिगंबर जैन मंदिर में दशलक्षण पर्व पर ऐलक दया सागर महाराज ने धर्मसभा को संबोधित किया। दया सागर ने कहा कि सत्य भीड़ में नहीं होता। सत्य सूली पर चढ़ सकता है, लेकिन असत्य का समर्थन नहीं कर सकता है।
सत्य ऐसा होना चाहिए जिससे किसी जीव के भावों की भी हिंसा ना हो। असत्य को भीड़ प्रिय होती है। वह अपने मिथ्या वचनों से भीड़ तो जुटा सकता है, लेकिन विश्वास हासिल नहीं कर सकता है। वर्तमान में हर कोई सत्य की बात करते हैं, लेकिन आचरण में कोई नहीं उतारता, जबकि सत्य आचरण में होना चाहिए। जिसके जीवन में क्रोध, लोभ, भय, हास्य होगा और जो आगम से विपरीत होगा वह सत्य को बोल भी नहीं सकता है और आचरण में भी नहीं ला सकता है। इसलिए इन पांच प्रकार के कार्यों से बचना चाहिए।
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02 Sept 2025 05:13 pm