- शामिल हुआ दमोह वनमंडल का बड़ा हिस्सा, 35 वनकर्मी अब रिजर्व प्रबंधन के अधीन
- मप्र के सातवें और भारत के 54 वें टाइगर रिजर्व में हैं 24 बाघ, आने वाले दिनों में और संख्या बढ़ेगी
दमोह. प्रदेश की नई पहचान बन चुका वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व अब और अधिक संगठित होता जा रहा है। दमोह वनमंडल का एक बड़ा हिस्सा आधिकारिक रूप से इस रिजर्व में शामिल कर लिया गया है। इसका क्षेत्रफल अब 2,339 वर्ग किलोमीटर तक फैल गया है। वन विभाग के करीब 35 कर्मचारियों को भी टाइगर रिजर्व प्रबंधन के अधीन कर दिया गया है। इन कर्मचारियों की तैनाती अब रिजर्व क्षेत्र की गश्त, निगरानी, सुरक्षा और वन्यजीव संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में की जाएगी। यह कदम न केवल टाइगर रिजर्व की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि इससे इको-टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा। अधिकारियों के अनुसार, अभी यहां 24 बाघ हैं, आने वाले समय में यहां बाघों की संख्या और बढ़ेगी। गौरतलब है कि वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व की घोषणा वर्ष 2023 में की गई थी। इसके बाद दमोह वनमंडल के कुछ क्षेत्रों को टाइगर रिजर्व में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी, जो अब पूरी हो चुकी है।
वन प्रबंधन को मिलेगी मजबूती
इस संबंध में डीएफओ दमोह ईश्वर जरांडे ने बताया कि दमोह वनमंडल के 30 से 35 कर्मचारियों को टाइगर रिजर्व में अधिकृत रूप से शामिल कर लिया गया है। इससे वन्यजीव संरक्षण के कार्यों को गति मिलेगी और टाइगर रिजर्व प्रबंधन की क्षमता भी बढ़ेगी। प्रशासनिक और मानव संसाधन स्तर पर एक महत्वपूर्ण बदलाव है, जिससे टाइगर रिजर्व की समग्र व्यवस्था और अधिक प्रभावी हो सकेगी। यह बदलाव आने वाले समय में न सिर्फ बाघों बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
अभी गांव विस्थापन की प्रक्रिया
इको टूरिज्म को लेकर यदि सुविधाओं को समय रहते विकसित किया जाए, तो टाइगर रिजर्व वन्य जीव पर्यटन का बड़ा केंद्र बन सकता है। इससे न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा बल्कि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा। वर्तमान स्थिति की बात करें, तो पिछले एक दशक से जारी गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया अधूरी है। इससे वन्यजीव और ग्रामीण दोनों प्रभावित हो रहे हैं। इसी तरह 2023 से प्रस्तावित पांच हाथी कैंप अब तक नहीं बन पाए हैं, जिससे वन क्षेत्र की निगरानी पर असर पड़ रहा है। वहीं पर्यटकों की संख्या बेहद कम है। ठहरने, भ्रमण और गाइड जैसी जरूरी सुविधाएं नदारद हैं।
वर्शन
हिनौती गेट पर इंटरप्रेटेशन सेंटर बनाने की योजना है और नए गेटों के निर्माण के प्रयास जारी हैं। कार्य चरणबद्ध तरीके से किए जा रहे हैं। विस्थापन कार्य भी प्रक्रियाधीन है।
एए अंसारी, डिप्टी डायरेक्टर, बीडीटीआर
Published on:
04 Jun 2025 08:15 pm