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एसआइआर: किराएदार और दूसरे राज्यों के रहने वाले लोगों की जानकारी मिलना हो रही मुश्किल

वोटर आइडी कार्ड नंबर से भी नहीं मिल पाती जानकारी, परेशान हो रहे बीएलओ

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SIR: It is difficult to get information about tenants and people living in other states.

गणना पत्रक भरती हुईं बीएलओ

बीना. मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) का कार्य बीएलओ कर रहे हैं और सबसे ज्यादा परेशानी किराएदारों को तलाशने, दूसरे राज्य से आकर रहने वाले लोगों को लेकर हो रही है। वर्ष 2003 की लिस्ट से नाम का मिलान नहीं हो पा रहा है।
एसआइआर के तहत वर्ष 2003 और 2025 की मतदाता सूची का मिलान हो रहा है। इसके लिए बीएलओ गणना पत्रक लेकर घर-घर पहुंच रहे हैं। 2003 में जो किराएदार शहर में थे, वह अब जा चुके हैं और इनकी जानकारी लेना मुश्किल हो रहा है। साथ ही दूसरे राज्यों के रहने वाले लोगों की जानकारी का भी मिलान नहीं हो पा रहा है। यदि किसी के पास 2003 का वोटर आइडी कार्ड भी है, तो उसपर भाग और सरल संख्या न होने से डिटेल नहीं मिल पाती है। इसके लिए संबंधित बीएलओ से लोगों को संपर्क कर जानकारी लेनी पड़ रही है, जिससे गणना पत्रक भरने में समय लगता है।

वार्ड बदलने वालों को आ रही समस्या
2003 में के बाद कई लोग दूसरे वार्डों में रहने लगे हैं और जब बीएलओ सर्वे करने पहुंच रहे हैं, तो उनसे पुराने दस्तावेज मांगें जा रहे हैं। आचवल वार्ड निवासी मनीष कुशवाहा ने बताया कि वह 2003 में रेलवे कॉलोनी में थे और अब आचवल वार्ड में रहने लगे हैं। इसलिए उन्हें पुराने वोटर आइडी लाने पड़े। इसके बाद गणना पत्रक भरा जा सका।

दूसरे शहर में हुई शादी, मायके से मंगा रहे जानकारी
जिन युवतियों की शादी दूसरे शहरों में हो गई है, उन्हें मायके से 2003 की मतदाता सूची से परिवार वालों की भाग और सरल संख्या मंगानी पड़ रही है। इसके बाद ससुराल में उनके नाम का सत्यापन हो रहा है, जो लोग जानकारी नहीं दे पा रहे हैं उनके नाम कटने का खतरा बना हुआ है।

नहीं खुलती लिंक
बीएलओ को जानकारी हासिल करने के लिए निर्वाचन आयोग की एक लिंक दी गई है, जिसपर वोटर आइडी कार्ड नंबर, सरल और भाग संख्या डालने से जानकारी मिल जाती है, लेकिन सर्वर में समस्या होने के कारण यह लिंक भी नहीं खुलती है।

एक फॉर्म भरने में लग रहे पंद्रह मिनट
बीएलओ प्राची सैनी ने बताया कि एक फॉर्म भरने में पंद्रह मिनट का समय लग जाता है और यदि पूरी जानकारी नहीं मिलती है, तो फिर परेशानी होती। कई लोगों से मोबाइल नंबर मांगने पर वह विवाद करने लगते हैं। 2003 की सूची में दर्ज कई लोगों को तलाशना भी मुश्किल हो रहा है।