
योगी सरकार के वंदे मातरम आदेश पर उठा विवाद | Image Source - 'FB' @MYogiAdityanath
Yogi government vande mataram mandatory debate: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रदेश के सभी स्कूलों में वंदे मातरम को अनिवार्य करने की घोषणा के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। सरकार इस फैसले को राष्ट्रभावना को मजबूत करने वाले कदम के रूप में पेश कर रही है, वहीं विपक्ष इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता में दखल बता रहा है। आदेश जारी होते ही शिक्षा विभाग से लेकर राजनीतिक दलों तक सभी हलकों में इसे लेकर चर्चा तेज हो गई है और अलग-अलग नेताओं की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के जिलाध्यक्ष असद अब्दुल्ला ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि किसी भी नागरिक पर वंदे मातरम गाने के लिए दबाव नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि वंदे मातरम भारत का राष्ट्रीय गीत है और सभी को इसका सम्मान करना चाहिए, लेकिन इसे गाना या न गाना पूरी तरह व्यक्तिगत अधिकार का विषय है। अब्दुल्ला ने कहा कि संविधान हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता देता है और यदि कोई वंदे मातरम नहीं गाता है, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि वह देशभक्त नहीं है।
असद अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि वंदे मातरम को अनिवार्य बनाने जैसे कदम जनता को जरूरी मुद्दों से दूर ले जाते हैं। उनके अनुसार, देशभक्ति किसी पर थोपी नहीं जा सकती, बल्कि यह स्वभाविक रूप से आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए, न कि ऐसे फैसलों से नई बहसें पैदा करनी चाहिए। हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाना सकारात्मक कदम है, लेकिन इसे जबरदस्ती किसी पर थोपना उचित नहीं है।
Updated on:
11 Nov 2025 02:02 pm
Published on:
11 Nov 2025 02:01 pm
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