MP News: अगर आप अपने बच्चों को पैरासिटामॉल सिरप पिलाते है तो ये खबर आपको जाननी चाहिए। बता दें कि जिले में सीएमएचओ कार्यालय के दवा स्टोर और जिला अस्पताल पर निर्भर बच्चे चार महीने तक अमानक पैरासिटामॉल सिरप और रेनीडीन गोलियां लेते रहे। चार महीने बाद जब इन दवाइयों के अमानक होने की रिपोर्ट आई तो पता चला कि दोनों जगह इन दवाइयों का स्टॉक खत्म हो गया है। ये अमानक दवाइयां बीमार बच्चों के पेट में पहुंच चुकी हैं।
ड्रग इंस्पेक्टर प्रियंका चौबे ने बताया कि बच्चों के बुखार में दी जाने वाली पैरासिटामॉल सिरप के दोनों नमूने और गैस की रेनीडीन टैबलेट का सैंपल मानक पर खरे नहीं उतरे। रेनीडीन टैबलेट में चिपचिपाहट पाई गई, जो गुणवत्ता के अनुरूप नहीं थी। वहीं, पैरासिटामॉल सिरप जमने जैसी हालत में पाई गई।
मामले में विडंबना यह कि जांच रिपोर्ट आने में चार महीने लग गए। इतने समय में दवा स्टोर का स्टॉक खत्म हो चुका था। सीएमएचओ और सिविल सर्जन कार्यालय में बच्चों की पैरासिटामॉल सिरप का स्टॉक पूरी तरह समाप्त हो गया, जबकि रेनीडीन टैबलेट का स्टॉक भी नहीं बचा था।
औषधि विभाग ने सरकारी केंद्रों के अलावा अन्य स्थानों पर भी निरीक्षण किया है। 1 अप्रेल से अब तक जिले में 152 निरीक्षण किए गए। इसमें 1 मेडिकल स्टोर का लाइसेंस रद्द किया गया, 2 लाइसेंस निलंबित किए और 102 को नोटिस जारी किए। इसी अवधि में 21 दवाओं के सैंपल जांच के लिए लिए गए, जिनमें 3 नमूने अवमानक पाए गए। इसी में नीली गोलियों के काले कारोबार का बड़ा खुलासा भी हुआ है। लगभग पांच हजार से ज्यादा गोली के पत्तों का कोई हिसाब नहीं मिला।
Published on:
27 Aug 2025 01:33 pm