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Rajasthan: किसानों को मिलेगी राहत, बकाया सब्सिडी होगी जारी, विभाग जानेगा जमीनी हकीकत

किसानों का कहना है कि सत्यापन के अभाव में मिनी फव्वारा और सिंचाई संयंत्रों की सब्सिडी अटकी पड़ी है, जिससे उनकी अगली फसल की तैयारी प्रभावित हो रही है।

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No subsidy was received on fountain plant, mini sprinkler and drip plant

No subsidy was received on fountain plant, mini sprinkler and drip plant

सीकर. गिरते भूजल के कारण किसानों की गिरती आय को बढ़ाने के लिए जोर-शोर से लागू ड्रॉप मोर क्रॉप योजना में जिम्मेदारों की ओर से लापरवाही बरती जा रही है। इसकी बानगी है कि ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों को लेकर दो वर्ष से सत्यापन में लापरवाही को लेकर उद्यान आयुक्तालय ने सख्त रूख अपना लिया है।

सीकर जिले में वर्ष 2023-24 की 1,257 फाइलों में से महज 823 फाइलों के सत्यापन किया गया, जबकि शेष अब तक लंबित हैं। वहीं, वर्ष 2024-25 में प्राप्त 3,591 फाइलों में से एक का भी सत्यापन नहीं किया गया, जिससे किसानों को खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है। उच्चाधिकारियों ने विभाग की इस लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई है और जल्द प्रगति रिपोर्ट मांगी है।

किसानों का कहना है कि सत्यापन के अभाव में मिनी फव्वारा और सिंचाई संयंत्रों की सब्सिडी अटकी पड़ी है, जिससे उनकी अगली फसल की तैयारी प्रभावित हो रही है। इसको लेकर विभाग का तर्क है कि सत्यापन के लिए मानव संसाधन और फील्ड स्टाफ की कमी मुख्य कारण है।

जबकि किसानों के अनुसार योजनाओं के लाभ में देरी से ड्रॉप मोर क्रॉप’’ का उद्देश्य ही अधूरा रह जाएगा।

पांच साल तक रहती है जिम्मेदारी

प्रदेश में ड्रॉप मोर क्रॉप योजना के तहत माइक्रो-इरिगेशन जैसे ड्रिप एवं स्प्रिंकलर (मिनी-फव्वारा) प्रणाली लगाई गई है। इसके तहत संयंत्र लगाने वाली कंपनियों को तीन वर्ष तक रखरखाव की जिम्मेदारी रहती है। पिछले दिनों कई जिलों में किसानों ने कंपनियों की ओर से लगाई गई प्रणाली की गुणवत्ता, स्थापना, पश्चात् सेवा व रख-रखाव में लापरवाही बरतने की शिकायत दी थी।

इसके बाद विभाग ने निर्णय लिया है कि वर्ष 2023-24 तथा 2024-25 में लगे संयंत्रों का दोबारा भौतिक एवं कार्य-प्रणालीगत वेरीफिकेशन किया जाएगा। जिससे किसानों को बकाया अनुदान जारी किया जा सके। सत्यापन के दौरान कृषि विभाग किसानों से संयंत्रों सही स्थापना, पाइप, स्प्रिंकलर , पानी का प्रवाह-दबाव, सिंचाई क्षेत्र तक वितरण, किसान को मिल रही सेवा-समीक्षा देंखेंगे।जिससे बर्बाद हो रहे संसाधनों की पहचान होगी, मरम्मत या पुन: स्थापना संभव होगी, पानी की बर्बादी कम होगी, एवं सिंचाई दक्षता बढ़ेगी। इससे किसानों को फायदा होगा।

इनका कहना है

योजना में लगे संयंत्रों के दोबारा सत्यापन को लेकर आयुक्तालय ने निर्देश दिए हैं। इसके लिए स्टॉफ को पाबंद किया गया। सत्यापन के दौरान कंपनी की लापरवाही मिलने पर दोषी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंषा की जाएगी।

एसआर कटारिया, अतिरिक्त निदेशक, उद्यान खंड सीकर