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अब रात 11 बजे ही बंद हो जाएंगे खाटूश्यामजी बाजार, खुले रहेंगे धर्मशाला, होटल, गेस्ट हाउस और रेस्टोरेंट, जानें प्रशासन के कई नए फैसले

धार्मिक नगरी खाटूश्यामजी में अब बाजार रात 11 बजे बंद हो जाएंगे। मेला मजिस्ट्रेट कार्यालय में पालिका के अधिशासी अधिकारी प्रवीण चौधरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में अवांछित गतिविधि को रोकने के लिए यह निर्णय किया गया।

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सीकर

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kamlesh sharma

Nov 13, 2025

फोटो पत्रिका

Khatushyamji News: आस्था की नगरी खाटूधाम में अब अव्यवस्था को व्यवस्थित करने की कवायद शुरू कर दी गई है। कस्बे में गुरुवार को मेला मजिस्ट्रेट कार्यालय में पालिका अधिशासी अधिकारी प्रवीण चौधरी और थानाप्रभारी पवन चौबे की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें श्रद्धालुओं की सुविधा, यातायात, अस्थाई अतिक्रमण, पार्किंग, ई-रिक्शा संचालन और ठेला-थड़ी व्यवस्था को लेकर कई अहम निर्णय लिए गए।

अब कस्बे की सभी दुकानें श्याम बाबा के मंदिर खुलने के साथ ही खुलेंगी और मंदिर बंद होने के एक घंटे बाद यानी रात 11 बजे तक अनिवार्य रूप से बंद करनी होंगी। हालांकि धर्मशाला, होटल, गेस्ट हाउस और रेस्टोरेंट को समय की बाध्यता से दूर रखा गया है। दुकानों को रात 11 बजे से बंद करने का फैसला गुरुवार से लागू कर दिया गया। थानाप्रभारी पवन चौबे ने बताया कि यह कदम किसी भी अवांछित गतिविधि को रोकने के लिए उठाया गया है। व्यापार मंडल ने इस निर्णय पर पूर्ण सहमति जताई।

उन्होंने कहा कि देर रात तक खुले रहने वाले बाजारों में कुछ असामाजिक तत्वों की गतिविधियां बढ़ने लगी थीं। ऐसे में श्रद्धालुओं की सुरक्षा और अनुशासन बनाए रखने के लिए समय सीमा तय की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि अब पुलिस गश्त व्यवस्था को और मजबूत किया जाएगा ताकि नियमों की सख्ती से पालना हो सके। जो दुकानदार आदेश की अवहेलना करेंगे, उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

पालिका प्रशासन ने भी इस कदम का समर्थन किया है और कहा है कि श्याम नगरी की पवित्रता, व्यवस्था और श्रद्धालुओं की सुविधा बनाए रखना प्रशासन की प्राथमिकता है। थाना प्रभारी पवन चौबे ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय अस्थायी नहीं, बल्कि एक नियमित व्यवस्था का हिस्सा है। त्योहारों और मेलों के समय आवश्यकता अनुसार समय सीमा में आंशिक ढील दी जा सकती है, लेकिन सुरक्षा से समझौता नहीं किया जाएगा।

पहले देर रात तक रहती थी चहल-पहल

खाटूश्यामजी के मुख्य बाजार में पहले देर रात तक रौनक देखने को मिलती थी। मंदिर बंद होने के बाद भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में बाजारों का रुख करते थे। भगवान की पोशाकें, तस्वीरें, चूर्ण, सूखी सब्जियां, चुड़ियां, बंधेज की साड़ियां-सूट, जयपुरी जूतियां, प्रसाद व धार्मिक सामग्री आदि दुकानों पर रात 12 बजे तक ग्राहकों की भीड़ लगी रहती थी। यह रौनक खाटूधाम की पहचान बन चुकी थी।

व्यापारियों के लिए यह समय बिक्री का सबसे अच्छा दौर माना जाता था। अब नए नियम के बाद रात 11 बजे के बाद बाजारों में सन्नाटा पसरेगा। उधर व्यापारियों का कहना है कि उन्हें श्रद्धालुओं की सुरक्षा की पूरी चिंता है, लेकिन प्रशासन को इस निर्णय के साथ वैकल्पिक व्यवस्था पर भी ध्यान देना चाहिए, ताकि सीजन के दिनों में आने वाले यात्रियों को असुविधा न हो।

व्यापार पर पड़ेगा असर, लेकिन सुरक्षा जरूरी

एक दुकानदार ने बताया कि श्याम बाबा के दर्शन के बाद श्रद्धालु अक्सर रात 10 या 11 बजे खरीदारी के लिए आते हैं। समय सीमा घटने से बिक्री पर असर पड़ेगा, पर अगर यह कदम अवांछित गतिविधियों को रोकने में सहायक है तो हम सहयोग करेंगे।

स्थानीय व्यापार मंडल के प्रतिनिधियों ने कहा कि वे प्रशासन के निर्णय का सम्मान करते हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि तीर्थ यात्रियों की भीड़ को देखते हुए मुख्य मार्गों पर सीसीटीवी और आवागमन की बेहतर व्यवस्था की जाए, ताकि श्रद्धालुओं को सुरक्षित और व्यवस्थित अनुभव मिले। व्यापार मंडल अध्यक्ष सोनू जोशी ने कहा कि प्रशासन यदि तय समय सीमा के भीतर दुकानें खोलने की अनुमति देता है तो व्यापारी पूर्ण अनुशासन के साथ सहयोग करेंगे। साथ ही उन्होंने नगर के प्रमुख स्थानों पर पैदल पुल (फुटओवर ब्रिज) निर्माण की भी मांग रखी, जिससे स्थानीय लोगों व व्यापारियों को भीड़भाड़ वाले दिनों में आवाजाही से राहत मिल सके।

तोरण द्वार रहेगा पूरी तरह खाली

ईओ प्रवीण चौधरी ने कहा कि तोरण द्वार क्षेत्र को पूरी तरह खाली रखा जाएगा ताकि श्रद्धालु पैदल आसानी से निकल सकें और प्रवेश द्वार की सुंदरता बनी रहे। जो भी टैक्सी, सीएनजी, डीजल या इलेक्ट्रिक रिक्शा तोरण द्वार के पास खड़ा पाया गया, उसका वाहन जब्त किया जाएगा। तोरण द्वार के आसपास की पार्किंग भी बंद होगी ताकि यातायात सुचारू रहे। ईओ ने बताया कि रिंग रोड से जुड़ी फाइल तैयार कर सरकार को भेज दी गई है, अब निर्णय राज्य स्तर पर होगा। बैठक में पालिका एसआई वीरेंद्र चंदेलिया, पटवारी रोहिताश्व सेपट, व्यापार मंडल अध्यक्ष सोनू जोशी, कोषाध्यक्ष गिरीराज माटोलिया, शंकर बलोदा, विनोद हलवाई, मोहन मावलिया, अंकित शर्मा, रमेश वर्मा, अजय मुंडोतिया, ई-रिक्शा यूनियन से कैलाश चंद्र वर्मा, सतपाल वर्मा आदि गणमान्य थे।

अब असली परीक्षा क्रियान्वयन की

अब देखना यह होगा कि प्रशासन और पुलिस इन व्यवस्थाओं को धरातल पर लागू कर पाते हैं या नहीं। कई वर्षों से बैठकों में योजनाएं बनती रही हैं, परंतु उनका व्यवहारिक रूप से पालन नहीं हो सका है।

ई-रिक्शा व ठेला-थड़ी व्यवस्था में पारदर्शिता

ई-रिक्शा चालकों का पंजीकरण किया जाएगा। रूट तय कर एक मोबाइल ऐप से ट्रैकिंग की जाएगी ताकि कोई चालक रूट से डायवर्ट न हो सके। रूट उल्लंघन पर जुर्माना लगाया जाएगा। ठेला-थड़ी वालों की जगह लॉटरी सिस्टम से तय की जाएगी जिसमें पहली प्राथमिकता स्थानीय लोगों को, उसके बाद क्षेत्रीय और अंत में बाहरी लोगों को दी जाएगी।