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जानलेवा न बन जाए ये अनदेखी: ड्यूटी के बोझ तले दबे रोडवेज बस चालक, खतरे में यात्रियों की सुरक्षा!

सीकर. राजस्थान रोडवेज में परिचालकों और चालकों की कमी अब स्टाफ पर सीधे असर डाल रही है। ड्यूटी के बढ़ते दबाव के बीच चालक व परिचालक बिना पर्याप्त आराम के लगातार सफर पर निकलने को मजबूर हैं। इससे न केवल कर्मचारियों की सेहत पर असर पड़ रहा है, वहीं यात्रियों की सुरक्षा पर भी खतरा बढ़ता जा रहा है।

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सीकर. राजस्थान रोडवेज में परिचालकों और चालकों की कमी अब स्टाफ पर सीधे असर डाल रही है। ड्यूटी के बढ़ते दबाव के बीच चालक व परिचालक बिना पर्याप्त आराम के लगातार सफर पर निकलने को मजबूर हैं। इससे न केवल कर्मचारियों की सेहत पर असर पड़ रहा है, वहीं यात्रियों की सुरक्षा पर भी खतरा बढ़ता जा रहा है। सबसे खराब स्थिति सांवरियाजी, बीकानेर, लाडनूं, जयपुर, जोधपुर, खंडेला रूट पर चलने वाले स्टॉफ की है। इन रूट पर चालक व परिचालकों को लगातार घंटे तक ड्यूटी करनी पड़ रही है। चिंताजनक बात है कि कई बार तो एक रूट पूरा होते ही बिना रेस्ट या ऑफ दिए दूसरे रूट पर भेज दिया जाता है। कई कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें हफ्तों तक कोई ऑफ या रेस्ट डे नहीं मिल पाता। जो कर्मचारी छुट्टी मांगते हैं, उन्हें कहा जाता है कि स्टाफ की कमी के चलते फिलहाल ड्यूटी जरूरी है। इसका असर चालक व परिचालक के साथ यात्री की सुरक्षा पर सीधा पड़ता है। लगातार ड्यूटी के कारण चालक की एकाग्रता पर असर पड़ता है और यह यात्रियों के लिए जोखिम भरा है। थके हुए चालकों के कारण सड़क हादसों का खतरा मंडराया हुआ है। मोटर ट्रांसपोर्ट वर्कस एक्ट 1961 के अनुसार सप्ताह में ड्यूटी के बाद सप्ताह में एक दिन अवकाश देना जरूरी है। सीकर डिपो में परिचालकों के 244 पद स्वीकृत है जिनमें से महज 174 पद पर परिचालक ड्यूटी दे रहे हैं।

लगातार बढ़ रहा है हादसों का खतरा

रोडवेज कर्मचारी संघ के एक पदाधिकारी ने बताया कि सरकारी आदेश के अनुसार एक चालक को आठ घंटे ड्यूटी और 16 घंटे में आठ घंटे आराम मिलना चाहिए, लेकिन मौजूदा हालात में लगातार राउंड चल रहे है। रोडवेज की यह स्थिति यात्रियों की सुरक्षा और सेवा की गुणवत्ता, दोनों पर सवाल खड़े कर रही है। जब तक नए चालक और परिचालक नियुक्त नहीं होते, तब तक कर्मचारियों पर दबाव और दुर्घटनाओं की आशंका दोनों बनी रहेंगी।

ये भी समस्या: बसें हो रही निरस्त

सीकर डिपो की सीकर- चंडीगढ़, सीकर-अजमेर, सीकर सांवरियाजी, जयपुर-लाडनूं, जयपुर- चूरू, सीकर-बीकानेर, , सीकर-नीमकाथाना-जोधपुर व सीकर - खंडेला रूट के स्टॉफ की हालात सबसे ज्यादा खराब है। इन बसों के स्टॉफ को समय पर ओडीआर और रेस्ट नहीं दिए जा रहे हैं। स्टॉफ के अनुसार लम्बे समय से अवकाश नहीं मिलने के कारण परेशानी होती है। नाम नहीं छापने की शर्त पर चालकों ने बताया कि यही कारण है कि लम्बी दूरी वाली गाडियों में चालक अपने स्तर पर दूसरा स्टॉफ रख लेता है जिससे यात्रियों की सुरक्षा प्रशिक्षित स्टॉफ के हाथ में नहीं रह पाती है।

ये बोले जिम्मेदार: पूरा प्रयास करते हैं...

यात्रियों सहित स्टॉफ की सुरक्षा को सर्वेापरी मानते हुए प्रबंधन का पूरा प्रयास रहता है कि सभी को समय पर अवकाश मिले फिर भी कई बार स्टॉफ की कमी के कारण कई बार साप्ताहिक अवकाश व ओडीआर नहीं मिल पाते हैं।

दीपक कुमावत, मुख्य प्रबंधक

टॉपिक एक्सपर्ट: साप्ताहिक अवकाश मिलने चाहिएं

स्टॉफ की कमी को देखते हुए किलोमीटर संचालन का लक्ष्य कम नहीं किया जा रहा है। इसके कारण स्टॉफ पर अनावश्यक मानसिक व शारीरिक भार बढ़ता जा रहा है। रोडवेज प्रबंधन नए चालक व परिचालक भर्ती करने की बजाए मौजूद स्टॉफ पर जबरन दवाब बना रहा है। यही कारण आए दिन सड़क हादसे होने से निगम को भी राजस्व का नुकसान होता है। यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए संचालन से जुड़े स्टॉफ को समय पर साप्ताहिक अवकाश नियमित रूप से मिलने चाहिए।

सांवरमल यादव, प्रदेश सचिव कर्मचारी यूनियन, सीटू


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