जयपुर। ओले अचानक, तेज आवाज के साथ गिरते हैं और कई बार बेहद नुकसान पहुंचाते हैं। कुछ ही मिनटों में एक आंधी फसलों को चीर सकती है, कांच तोड़ सकती है या पूरे कस्बे में गाड़ियों और घरों पर डेंट डाल सकती है। यूरोप इस खतरे को अच्छी तरह जानता है। लेकिन भविष्य की तस्वीर अलग हो सकती है। नए शोध से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ओलावृष्टि की घटनाएं तो कम हो सकती हैं, लेकिन जब ओले गिरेंगे, तो वे और बड़े और ज्यादा खतरनाक होंगे।
न्यूकैसल यूनिवर्सिटी, ब्रिटेन के मेट ऑफिस और यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के वैज्ञानिकों ने हाई-रेज़ोल्यूशन क्लाइमेट सिमुलेशन से भविष्य की ओलावृष्टि का अध्ययन किया। नतीजे बताते हैं कि यूरोप के अधिकतर हिस्सों में गंभीर ओलावृष्टि की घटनाएं घट सकती हैं। लेकिन जब भी ओलावृष्टि होगी, ओले आकार में बड़े होंगे। सामान्य गंभीर ओले का आकार कम से कम 2 सेंटीमीटर होता है, जबकि 5 सेंटीमीटर से बड़े ओले बहुत बड़े माने जाते हैं। बड़े ओले तेजी से गिरते हैं, कम पिघलते हैं और ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। तूफान में जब तेज हवा ऊपर की ओर उठती है, तो ऊंचाई पर जाकर ओले बनते हैं। जलवायु गर्म होने पर यह स्तर और ऊपर खिसक जाता है, जिससे ओलों को बढ़ने के लिए समय कम मिलता है। नीचे गिरते समय कई ओले पिघलने भी लगते हैं। साथ ही, हवा की परतों में गति का फर्क (विंड शीयर) भी घटता है, जिससे संगठित ओलावृष्टि वाले तूफानों का बनना कठिन हो जाता है। नतीजतन यूरोप के कई हिस्सों में पारंपरिक ओलावृष्टि कम हो जाएगी।
यह तस्वीर केवल कमी की नहीं है। दक्षिणी यूरोप में एक नई किस्म के गर्म-प्रकार के तूफान पैदा हो सकते हैं। ये उष्णकटिबंधीय तूफानों जैसे होंगे, जिनमें बर्फ बनने का स्तर ऊंचा होता है, लेकिन अगर ओले पर्याप्त बड़े बन गए तो वे पिघले बिना जमीन तक पहुंच जाएंगे।
शोध के अनुसार इटली और भूमध्यसागर क्षेत्र इन नए तूफानों के हॉटस्पॉट हो सकते हैं, खासकर शरद ऋतु में। यहां विशालकाय ओले और ज्यादा बार गिर सकते हैं।
ब्रिटेन और उत्तरी यूरोप में जोखिम कम रहेगा। मध्य यूरोप में भी गिरावट दिखेगी। लेकिन दक्षिणी यूरोप में, खासकर शरद और सर्दियों में, ओलावृष्टि के हालात बढ़ सकते हैं। यानी इटली और स्पेन जैसे देशों के किसानों को अब ऐसे मौसम में भी बड़े ओलों का खतरा हो सकता है, जब वे इसकी कल्पना भी नहीं करते थे।
न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के डॉ. अब्दुल्ला काहरमान का कहना है, “जलवायु परिवर्तन का असर गंभीर तूफानों पर पहले सोचे गए से कहीं अधिक जटिल है। हमारे हाई-रेज़ोल्यूशन मॉडल्स दिखाते हैं कि भविष्य में कम ओलावृष्टि होगी, लेकिन स्थानीय स्तर पर जब होगी तो ज्यादा विनाशकारी होगी।”
प्रोफेसर लिज़ी केंडन के अनुसार, “ये नतीजे चिंता बढ़ाने वाले हैं। इसका मतलब है कि हमें यूरोप में उष्णकटिबंधीय प्रकार की ओलावृष्टि के लिए तैयार रहना होगा, जिनमें बहुत बड़े ओले गिर सकते हैं और भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं।”
वहीं प्रोफेसर हेली फाउलर का कहना है, समाज को अभूतपूर्व चरम मौसम घटनाओं के लिए बेहतर तैयारी करनी होगी। भूमध्यसागर क्षेत्र में आने वाले समय में विशाल ओले गिर सकते हैं, जो घरों, ढांचे, फसलों और यहां तक कि हवाई जहाजों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।”
अध्ययन दिखाता है कि गंभीर ओलों की संभावना घटेगी, लेकिन बहुत बड़े ओलों की संभावना बढ़ेगी। दक्षिणी यूरोप में तो इनका अनुपात दोगुना भी हो सकता है। यानी तूफान कुल मिलाकर कम होंगे, लेकिन जब होंगे तो बड़े पैमाने पर तबाही मचाएंगे। लू और लंबे गर्म मौसम के बाद ऐसे हालात बनने की संभावना ज्यादा होगी।
यूरोप हर साल ओलावृष्टि से अरबों का नुकसान झेलता है। पहली नजर में कम तूफान राहत लगते हैं, लेकिन बड़े ओलों का खतरा इस तस्वीर को बदल देता है। एक बड़ा ओला-तूफान कई छोटे तूफानों से ज्यादा तबाही ला सकता है। दक्षिणी यूरोप को विशेष रूप से एक नई हकीकत के लिए तैयार रहना होगा, कम बार आने वाले तूफान, अनोखे मौसम में, लेकिन और ज्यादा विनाशकारी असर छोड़ने वाले। साफ संदेश यही है, कम तूफान हमेशा कम खतरे का मतलब नहीं होते। यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
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Updated on:
29 Sept 2025 05:52 pm
Published on:
29 Sept 2025 05:51 pm
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