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सरल आदतें आपके दिमाग को तेज बनाए रख सकती हैं और उसके बूढ़े होने की रफ्तार को धीमा कर सकती हैं

फ्लोरिडा विश्वविद्यालय की एक नई स्टडी में पाया गया कि जो लोग अच्छी जीवनशैली अपनाते हैं, उनका दिमाग उनकी असली उम्र से कम दिखता है और वह धीरे-धीरे बूढ़ा होता है।

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जयपुर। आपके ड्राइविंग लाइसेंस पर लिखी उम्र कुछ और हो सकती है, लेकिन आपका दिमाग अलग कहानी बताता है। वैज्ञानिक दिमाग की उम्र का अनुमान स्कैन के जरिए लगाते हैं और देखते हैं कि यह सामान्य पैटर्न से कितना अलग है।

फ्लोरिडा विश्वविद्यालय की एक नई स्टडी में पाया गया कि जो लोग अच्छी जीवनशैली अपनाते हैं, उनका दिमाग उनकी असली उम्र से कम दिखता है और वह धीरे-धीरे बूढ़ा होता है।

शोध कैसे हुआ

शोधकर्ताओं ने MRI स्कैन की मदद से प्रतिभागियों के दिमाग की अनुमानित उम्र निकाली और उसे उनकी असली उम्र से तुलना की। यह फर्क ‘ब्रेन एज गैप’ कहलाता है, जो पूरे दिमाग की सेहत का संकेत देता है।

इस अध्ययन में ज्यादातर लोग मध्यम या ज्यादा उम्र के थे और उन्हें घुटनों में लगातार दर्द था या उन्हें ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा था। उनसे नींद, तनाव, धूम्रपान, वजन, आशावाद और सामाजिक सहयोग जैसी आदतों के बारे में पूछा गया। इन आधारों पर जोखिम और सुरक्षा अंक दिए गए।

नतीजे

  • जिन लोगों में ज्यादा सुरक्षात्मक आदतें थीं, उनका दिमाग शुरुआत में ही लगभग आठ साल छोटा दिखा।
  • अगले दो सालों में भी उनका दिमाग धीरे-धीरे बूढ़ा हुआ।
  • नींद की कमी और शिक्षा-आय जैसी सामाजिक कठिनाइयों वाले लोगों का दिमाग औसतन तीन साल बड़ा दिखा।
  • नींद सबसे बड़ा सुरक्षात्मक कारक बनी। अच्छी नींद लेने से तनाव कम महसूस होता है और भावनाओं को संभालना आसान हो जाता है।

आशावाद और सामाजिक सहयोग का असर

आशावादी लोग बेहतर नींद और कम तनाव का अनुभव करते हैं। वहीं, अपने करीबी लोगों का सहयोग भी दिमाग और व्यवहार पर सकारात्मक असर डालता है।

अध्ययन की सीमाएं

यह अध्ययन केवल संबंध बताता है, कारण-परिणाम नहीं। यह साबित नहीं करता कि कोई एक आदत दिमाग को निश्चित साल छोटा दिखा देगी। लेकिन यह जरूर बताता है कि नींद, तनाव नियंत्रण, तंबाकू से दूरी, सही वजन और रिश्तों में सहयोग जैसी आदतें मिलकर बड़ा असर डालती हैं।

दिमाग को स्वस्थ रखने के उपाय

  • नींद का नियमित समय रखें और सोने का कमरा शांत व अंधेरा रखें।
  • अगर नींद की समस्या लगातार बनी रहे तो विशेषज्ञ से परामर्श लें।
  • तनाव को संभालना सीखें और रोज़ाना थोड़े समय के अभ्यास करें।
  • सामाजिक रिश्तों को मजबूत रखें, ज़रूरत पड़ने पर मदद लें और दूसरों की मदद करें।

यह अध्ययन Brain Communications नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।