
फोटो पत्रिका
टोंक। निवाई उपखंड के बस्सी गांव में गुरुवार रात वह क्षण आया जब छह वर्षों से दहशत का कारण बना पैंथर आखिरकार वन विभाग के लगाए पिंजरे में कैद हो गया। लंबे समय से यह बघेरा पालतू पशुओं पर हमला कर ग्रामीणों में भय का माहौल बनाए हुए था। रात होते ही यह बकरियों, बछड़ों और अन्य मवेशियों का शिकार करता था। लगातार बढ़ती घटनाओं से परेशान होकर ग्रामीणों ने वन विभाग से कार्रवाई की मांग की थी।
ग्रामीणों की शिकायत पर वन विभाग ने करीब दस दिन पहले गांव के पास जंगल मार्ग पर एक पिंजरा लगाया था। साथ ही ट्रैप कैमरा भी लगाया गया था, ताकि पैंथर की गतिविधियों पर निगरानी रखी जा सके। गुरुवार देर रात भोजन की तलाश में पहाड़ी की तलहटी से गांव की ओर आया पैंथर पिंजरे में बंधे बकरे पर झपटा और अंदर घुसते ही दरवाजा बंद हो गया। कैद होते ही बघेरे ने जोरदार दहाड़ लगाना शुरू कर दिया। आवाज सुनकर सैकड़ों ग्रामीण मौके पर एकत्र हो गए।
बघेरे के पकड़े जाने की खबर फैलते ही ग्रामीणों की भीड़ जुट गई। वन विभाग की टीम को भीड़ नियंत्रित करने में काफी मेहनत करनी पड़ी। अधिकारियों ने लोगों से अपील की कि वे पिंजरे से दूर रहें, क्योंकि अधिक शोर और भीड़ से जानवर तनाव में आ सकता है और खुद को नुकसान पहुंचा सकता है।
सूचना मिलते ही टोंक के सहायक उप वन संरक्षक अनुराग महर्षि, देवली के एसीएफ डॉ. सुरेंद्र, टोंक रेंजर अभिषेक भटनागर और निवाई रेंजर धारीवाल बैरवा सहित वनकर्मियों का दल मौके पर पहुंचा। टीम ने सावधानीपूर्वक पिंजरे को पहाड़ी क्षेत्र से नीचे उतारा और वाहन में रखकर निवाई वन रेंज कार्यालय लाया। यहां बघेरे को सुरक्षित स्थान पर रखा गया।
निवाई ब्लॉक के पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. लक्ष्मण सिंह बागोतियां ने कैद बघेरे का स्वास्थ्य परीक्षण किया। जांच में वह पूरी तरह स्वस्थ पाया गया। वन अधिकारियों ने बताया कि यह मादा पैंथर है जिसकी उम्र लगभग डेढ़ वर्ष है। चिकित्सकीय परीक्षण के बाद उसे सुरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ा जाएगा।
पैंथर के पकड़े जाने के बाद बस्सी गांव में राहत का माहौल है। खौफ में जी रहे ग्रामीण अब चैन की सांस ले रहे हैं। पैंथर के डर से लोग रात में घरों से बाहर नहीं निकलते थे और पशुओं को सुरक्षित जगहों पर बांधते थे। ग्रामीणों ने वन विभाग की त्वरित कार्रवाई की सराहना की है। सहायक उप वन संरक्षक अनुराग महर्षि ने बताया कि विभाग की प्राथमिकता पैंथर को बिना किसी हानि के सुरक्षित रूप से जंगल में छोड़ना है। उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि भविष्य में किसी क्षेत्र में जंगली जानवर दिखाई देने पर तुरंत वन विभाग को सूचना दें और स्वयं कोई कार्रवाई न करें।
Updated on:
07 Nov 2025 05:27 pm
Published on:
07 Nov 2025 05:25 pm
बड़ी खबरें
View Allटोंक
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
