Good News: प्रदेशभर में जर्जर स्कूलों के कारण बच्चे बेहाल है। लगातार हादसों के कारण उनके जेहन से खौफ का माहौल दूर नहीं हो रहा है। स्कूल भवनों के क्षतिग्रस्त होने के कारण कहीं पेड़ों के नीचे कक्षाएं चल रही है तो कहीं किसी अन्य भवनों में शरण लेनी पड़ रही है। इस बीच, एक सामाजिक संस्था ने जर्जर स्कूल को संवारने की जिम्मेदारी लेते हुए बच्चों को परेशानी से उबार लिया। करीब तीन लाख रुपए खर्च कर स्कूल की छत की मरम्मत करवा दी। इससे बारिश में छत नहीं टपकी और विद्यार्थी सुरक्षित रहे। इतना ही नहीं, भामाशाह इसे खुद का स्कूल समझकर नियमित रूप से सार-संभाल भी कर रहे हैं।
राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय अंबेरी बड़गांव के कमरों से पानी टपकता था। जिससे न केवल बच्चे परेशान थे, बल्कि शिक्षक भी हर समय आशंकित रहते थे। पानी टपकने से स्कूल के पंखे भी खराब हो गए थे। कार्यालय की अलमारियां, मेज इत्यादि सामान भी खराब होने लगा। यह विद्यालय पीईईओ लेवल का है, इसके अंतर्गत 10 विद्यालय हैं।
प्राध्यापक राकेश कुमार गुप्ता ने रोटरी प्रांतपाल निर्मल कुणावत से आग्रह किया। कुणावत, तत्कालीन रोटरी युवा की अध्यक्ष डॉ ममता धूपिया समेत कई भामाशाह स्कूल का हाल जानने आए। ठेकेदार को भी हाथों-हाथ बुलाकर काम शुरू करने की हिदायत दी। 6 कमरों तथा बरामदों पर चाइना माॅजेक कार्य कराया गया। अब टपकना पूरी तरह से बंद हो गया। यही नहीं, उन्होंने स्कूल के खराब हुए फर्नीचर को भी बदलवा दिया। बच्चों को स्टेशनरी, कमरों में रंग रोगन और पंखे भी नए लगवा दिए।
Updated on:
07 Aug 2025 03:42 pm
Published on:
07 Aug 2025 03:40 pm