
फाइल फोटो पत्रिका
Leopard Census : वन विभाग ने राजस्थान में पहली बार तेंदुए (लेपर्ड) की व्यापक गणना की तैयारियां कर ली है। यह गणना टाइगर रिजर्व, संरक्षित क्षेत्रों और अन्य वन्यजीव स्थलों में साइन सर्वे, लाइन ट्रांसेक्ट और कैमरा ट्रैपिंग के जरिए की जाएगी। गणना की शुरुआत 11 नवंबर से हो रही है, जो तेंदुए की सटीक संख्या और उनकी मौजूदगी का पता लगाने में मदद करेगी। गणना में वनकर्मियों के अलावा विशेषज्ञ, एनजीओ और स्थानीय समुदाय की टीम भी शामिल होगी। कैमरा ट्रैप से प्राप्त फोटो से तेंदुए की पहचान उनकी धारियों के आधार पर की जाएगी।
विभाग ने सभी जिलों को निर्देश जारी कर दिए हैं कि गणना समयबद्ध और सटीक हो। विभाग का कहना है कि गणना के नतीजों के आधार पर तेंदुआ-मानव संघर्ष को कम करने की रणनीति तैयार की जाएगी। इसमें उदयपुर जैसे हॉटस्पॉट क्षेत्रों में अतिरिक्त निगरानी, कैमरा ट्रैप की बढ़ोतरी, जागरूकता अभियान और वैकल्पिक उपाय शामिल होंगे।
उदयपुर में जयसमंद अभयारण्य और कुंभलगढ़ जैसे क्षेत्रों में तेंदुए की मौजूदगी अधिक है, इसलिए यहां सफेद लैस कैमरों का विशेष इस्तेमाल होगा।
यह गणना इसलिए जरूरी हो गई है, क्योंकि राजस्थान में तेंदुए की आबादी तेजी से बढ़ रही है। इसके साथ ही मानव-वन्यजीव संघर्ष के मामले बढ़े हैं। राष्ट्रीय स्तर पर 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 721 तेंदुए हैं, पर राज्य स्तर पर अलग से विस्तृत गणना पहले नहीं हुई थी। खासकर उदयपुर जिले में पिछले साल तेंदुए के हमलों से 9 लोगों की मौत हुई थी। इस साल भी तेंदुए के हमले की कई घटनाएं सामने आ चुकी है।
1- संरक्षित क्षेत्रों में साइन सर्वे
11 से 15 नवंबर।
2- टाइगर रिजर्व में साइन सर्वे
11 से 15 नवंबर।
3- लाइन ट्रांजेक्ट (डेटा संग्रह एवं सबमिशन)
18 से 22 नवंबर।
4- टाइगर रिजर्व में कैमरा ट्रैपिंग
12 नवंबर 2025 से।
5- संरक्षित क्षेत्रों में कैमरा ट्रैपिंग (सफेद लैस कैमरों के साथ)
25 नवंबर 2025 से।
Updated on:
11 Nov 2025 03:00 pm
Published on:
10 Nov 2025 01:36 pm
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