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उदयपुर की बेटी आत्मिका गुप्ता भारतीय सेना में बनीं लेफ्टिनेंट, परिवार का सहयोग बना बड़ी वजह

उदयपुर शहर की बेटी आत्मिका गुप्ता ने अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज से भारतीय सेना की लेफ्टिनेंट बनकर मिसाल पेश की है। सीडीएस और एसएसबी के बाद ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी चेन्नई में 11 महीने की ट्रेनिंग की। शूटिंग में दो रजत पदक जीत चुकी आत्मिका अपनी मेहनत, लगन और जुनून के बल पर आज युवाओं के लिए प्रेरणा है।

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उदयपुर की बेटी आत्मिका गुप्ता सेना में बनीं लेफ्टिनेंट, पत्रिका फोटो

Lieutenant Atmika Gupta: उदयपुर शहर की बेटी आत्मिका गुप्ता ने अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज से भारतीय सेना की लेफ्टिनेंट बनकर मिसाल पेश की है। सीडीएस और एसएसबी के बाद ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी चेन्नई में 11 महीने की ट्रेनिंग की। शूटिंग में दो रजत पदक जीत चुकी आत्मिका अपनी मेहनत, लगन और जुनून के बल पर आज युवाओं के लिए प्रेरणा है। वह एक अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज ही नहीं, बल्कि भारतीय सेना की लेफ्टिनेंट भी बन चुकी हैं। उनके सफर ने हजारों युवाओं को प्रेरणा देने का काम किया।

आत्मिका का सफर दस साल पहले शुरू हुआ जब वे 9वीं की छात्रा के रूप में पहली बार शूटिंग रेंज पहुंचीं। उस समय शायद किसी ने नहीं सोचा कि यह बच्ची आने वाले वर्षों में न सिर्फ देश के लिए पदक जीतेगी, बल्कि सेना की वर्दी पहनकर देश की रक्षा का दायित्व भी संभालेगी। आत्मिका देश के लिए जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में दो रजत जीत चुकी हैं। उनकी इस उपलब्धि का श्रेय उनकी मेहनत और लगन को जाता है, वहीं माता-पिता की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। आत्मिका के पिता अचल गुप्ता इंजीनियर हैं। मां शिखा गुप्ता गृहिणी। भाई अर्णव एक एमएनसी में कार्यरत हैं। पूरा परिवार हमेशा उनके साथ मजबूती से खड़ा रहा। यही कारण है कि आज आत्मिका इतनी ऊंचाई तक पहुंच पाईं।

ये सम्मान भी मिले

● महाराणा मेवाड अलंकरण 4 बार, फतहसिंह अवार्ड 2 बार, राजसिंह अवार्ड वर्ष 2022 में, भामाशाह अवार्ड 2024 में
● शूटिंग में राजस्थान का प्रतिनिधित्व
● पेरू की राजधानी लीमा में अंतराष्ट्रीय शूटिंग कम्पीटिशन 2021 में मिक्स डबल एवं टीम इवेंट में 2 सिल्वर (ओलंपिक चैंपियन से मुकाबला)
● अग्रवाल समाज उदयपुर की ओर से 13 सितंबर को राजस्थान अग्रवाल गौरव से सम्मानित ।

इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की पढ़ाई

18 जून 2001 को जन्मी आत्मिका ने सेंट मेरीज स्कूल से 12वीं की। फिजिकल एजुकेशन में 100 फीसदी अंक पाए। गीतांजली कॉलेज से 2023 में इलेक्ट्रोनिक्स-कम्युनिकेशन में बीटेक में कॉलेज में दूसरी रैंक प्राप्त की। स्वतंत्रता सेनानी परिवार के महेशदत्त गर्ग ने बताया, राष्ट्रीयता व देशप्रेम के संस्कार दादा आनंद स्वरूप, दादी स्नेहलता से बचपन से ही मिल गए। पांचवीं में 11 साल की उम्र में टीवी पर गणतंत्र दिवस की परेड देखी तब ही सेना की वर्दी पहनने का सपना देखा। पिता के 2 मामा थलसेना में कर्नल और कैप्टन रहे, उनका अनुशासन देखकर सेना में जाने का पक्का प्रण कर लिया। ताऊ आलोक, अजय एवं बड़े इंजीनीयर भाई ने हमेशा हौसला अफजाई की। खेल और शिक्षा में संतुलन साध साबित कर दिया कि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं।

सीडीएस में 9वां स्थान हासिल किया

आत्मिका ने भारतीय सेना के लिए संघ लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित सीडीएस परीक्षा में 9वां स्थान प्राप्त किया। एसएसबी की कठिन परीक्षा पास की और चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी में 11 महीने की सख्त ट्रेनिंग की। उन्होंने न केवल शारीरिक-मानसिक क्षमता का परिचय दिया, बल्कि उत्कृष्ट प्रदर्शन कर अपनी कंपनी की सार्जेंट भी बनीं। शूटिंग में मार्क्समैन बैज और तैराकी में मेरिट सर्टिफिकेट भी मिला।