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प्रेरणादायक है राजस्थान के मेहुल की कहानी, सरकारी नौकरी की चाह में बीएड करने के बाद की थी रीट की तैयारी, ऐसे बन गए सोशल मीडिया स्टार

Real Life Inspiring Story Of Mehul Choubisa: राजस्थान के मेहुल चौबीसा ने सरकारी नौकरी की चाह को पीछे छोड़कर सोशल मीडिया पर अपने हुनर को पहचान दिलाई।

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मेहुल चौबीसा की फोटो: सोशल मीडिया

Rajasthan's Social Media Star: सरकारी नौकरी का सपना आज हजारों युवाओं को एक ही दिशा में धकेल देता है, मगर सागवाड़ा के निकट गोठड़ा गांव के मेहुल चौबीसा ने भीड़ से हटकर अपनी अलग राह बनाई। उनकी इच्छा नौकरी नहीं, बल्कि सिर्फ एक बेहतरीन कलाकार बनना है।

परिजनों की इच्छा थी कि बेटा स्थायी सरकारी नौकरी में लगे, लेकिन मेहुल ने वर्षों के दबाव व उम्मीदों के बीच अपने दिल की आवाज सुनी। नतीजा-आज वह सोशल मीडिया का उभरता सितारा है और मेवाड़-वागड़ में युवा क्रिएटर की नई पहचान गढ़ चुका है।

सोशल मीडिया बना सहारा, एक साल में डेढ़ लाख फॉलोअर्स

2019 में उसने हिम्मत कर सोशल मीडिया पर कदम रखा। समाज को जोड़ने वाले छोटे-छोटे वीडियो बनाकर वह फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम पर डालने लगा। सालभर में उसके फॉलोअर्स डेढ़ लाख के आंकड़े को पार कर गए। यही वो मुकाम था जब उसे महसूस हुआ-हुनर ही अब मेरी नौकरी है। घर में पहले जहां चिंता थी। वहीं अब मेहुल की सफलता पर अवार्डों का ढेर सजने लगा।

मेहुल बने वागड़ के सुपर क्रिएटर

मेहुल ने एक के बाद एक प्रभावशाली शॉर्ट मूवी बनाई। मंथली ’सेलिब्रेशन’ महिलाओं की माहवारी पर सकारात्मक संदेश दिया। ‘इंटरनोट’ युवाओं में इंटरनेट की लत पर चेतावनी, ‘बदलाव जरूरी है’ सभी धर्मों के बीच एकता का संदेश। इन्हीं फिल्मों ने उसे भीड़ से अलग खड़ा कर दिया।

रीट, बीएड सब किया, पर मन कहां माना

मेहुल की पढ़ाई-लिखाई गांव गोठड़ा और आसपुर में ही हुई। परिजनों की इच्छा पर बांसवाड़ा से बीएड किया। रीट परीक्षा भी दी, पर सफलता नहीं मिली। इसके बाद घरवालों ने अन्य भर्तियों की तैयारी करवाना चाहा, मगर मेहुल के मन में अब सरकारी नौकरी की राह कहीं गायब हो चुकी थी। उसे समझ आ गया कि रास्ता वही सही है, जो दिल कहे और दिल कला की ओर खिंच रहा था।

कविताओं से मिला सुकून, कलाकार बनने की ठान ली

आठवीं कक्षा में ही वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों से जुड़ गया। कार्यक्रमों में शामिल होने लगा, मंच पर बोलने लगा। कॉलेज में आते-आते उसके भीतर का कवि भी जाग गया। कविता लेखन, कवि समेलनों में जाना, कवियों जैसी शैली-सब कुछ उसका हिस्सा बन गया। धीरे-धीरे कला उसका सुकून बन गई। पर एक सवाल हमेशा सामने था कमाई कैसे होगी?

वह आज राजस्थान का बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर माना जाता है। पिछले महीनों मुख्यमंत्री भी उसे सम्मानित कर चुके हैं। खास बात वह कंटेंट वागड़ भाषा में बनाते हैं, जिसने उसे अपने क्षेत्र का चहेता कलाकार बना दिया है। आज वही परिजन जो उसे नौकरी करने के लिए कहते थे, अब उसकी सफलता पर गर्व करते नहीं थकते।


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