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‘वक्फ बोर्ड’ को भी नहीं ‘वक्फ की जमीन’ देने का अधिकार, फैसला सुरक्षित

MP News: एकलपीठ द्वारा मस्जिद को हटाने की याचिका खारिज करने के बाद दायर अपील पर सुनवाई हुई।

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फोटो सोर्स: पत्रिका

फोटो सोर्स: पत्रिका

MP News: उज्जैन स्थित महाकाल लोक के लिए हटाई गई तकीया मस्जिद को लेकर हाईकोर्ट की युगलपीठ में बहस हुई। एकलपीठ द्वारा मस्जिद को हटाने की याचिका खारिज करने के बाद दायर अपील पर सुनवाई हुई। जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ के समक्ष दलील दी गई कि वक्फ कानून के अनुसार वक्फ संपत्ति किसी अन्यत्र को हस्तांतरित करने का अधिकार वक्फ बोर्ड को भी नहीं है। मस्जिद 1985 से वक्फ संपत्ति घोषित है तो उसका अधिग्रहण ही नहीं हो सकता है।

न कमेटी को और न बोर्ड को मिला मुआवजा

अभिभाषक सैयद अशहार अली वारसी ने बताया, महाकाल लोक के निर्माण के लिए उज्जैन जिला प्रशासन ने जमीन अधिग्रहण की थी। उसमें तकीया मस्जिद को अधिग्रहीत बताते हुए तोड़ दिया था। इसे उज्जैन में रहने वाले मोहमद तैयब आदि ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। इस पर मंगलवार को बहस हुई। कोर्ट के समक्ष ये बात रखी गई कि जमीन का अधिग्रहण होना बताया जा रहा है जबकि उसका मुआवजा न तो मस्जिद कमेटी और न ही वक्फ बोर्ड ने लिया है, ऐसे में अधिग्रहण कैसे हो गया।

जमीन का मुआवजा तय नहीं

सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कहा गया कि ये मामला पूर्व में भी कोर्ट के समक्ष आया था, तब कोर्ट ने निर्णय दे दिया है। अपीलकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि जो मुआवजा दिया है वो मस्जिद परिसर में अवैध रूप से रह रहे लोगों के निर्माण को तय करते हुए जारी कर दिया गया, मस्जिद की जमीन का मुआवजा तय नहीं हुआ है। हमने भूमि अधिग्रहण नहीं बल्कि मस्जिद को अवैध तरीके से तोड़ने को चुनौती दी है। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।