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5 रुपए में नॉर्मल डिलीवरी, दर्द का डर गायब, जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित, चल पड़ा आयुर्वेद का नया ट्रेंड

MP News: मध्य प्रदेश के इस शहर में बदल रहा प्रसव का ट्रेंड, यहां सिजेरियन नहीं नॉर्मल डिलिवरी का बढ़ रहा क्रेज, 5 रुपए में कम पीड़ा वाली नॉर्मल डिलीवरी की ये प्रक्रिया परिवारों में ला रही खुशियां

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MP News Ayurveda change the trend of delivery in 5 rupees

MP News Ayurveda change the trend of delivery in 5 rupees(फोटो: सोशल मीडिया)

MP News: आजकल प्रसूति का मतलब सिजेरियन की अधिक संभावना, बड़ा खर्च और लंबा बेड रेस्ट और सबसे बड़ा नॉर्मल डिलीवरी पेन का डर, जिसकी वजह से ज्यादातर महिलाएं सिजेरियन करवाना चाहती हैं। अधिकतर प्रसूताओं के अनुभव कुछ यही कहते हैं। लेकिन आयुर्वेद अब इस ट्रेंड को बदलने जा रहा है। वो भी महज 5 रुपए में। नौ महीने यानी 37 सप्ताह बाद गर्भवती को 'शोधन बस्ती' उपचार और कम पीड़ा के साथ नॉर्मल डिलीवरी करवाई जा रही है। ऐसे इक्का-दुक्का नहीं, बल्कि 90 फीसदी से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिनमें गर्भवती ने प्रेगनेंसी से लेकर कम पीड़ा वाली डिलीवरी के लिए आयुर्वेद को फॉलो किया।

केस -एक-

मुझे तो नॉर्मल डिलिवरी का नाम सुनते ही डर लगता है। मां से अपनी बड़ी मां से जब मुझे पता चला कि नॉर्मल डिलिवरी पेनफुल होती है, तो मैंने सोच लिया कि अब तो सिजेरियन ही कराना है। और मुझे ट्विन्स थे तो मैंने डॉक्टर से पांचवे महीने में ही कह दिया था कि मुझे नॉर्मल डिलिवरी नहीं चाहिए। मुझे सिजेरियन ही करवाना है। भले ही कितना भी खर्च आए। लेकिन आज मुझे लगता है कि नॉर्मल डिलिवरी ही ज्यादा बेस्ट रहती है।

- गोमा साऊद, उज्जैन।

केस -दो -

नॉर्मल डिलीवरी को मैंने हमेशा से ही न कहा, क्या महिलाएं सिर्फ दर्द सहती रहें, जब विकल्प हैं, तो क्यों दर्द सहें? इसलिए सिजेरियन की राह चुनी। पंडित से शुभ मुहूर्त पूछे और डॉक्टर्स से उसी शुभ मुहूर्त में डिलिवरी का अपॉइन्टमेंट ले लिया। आज मुझे दो लड़कियां हैं। कोई परेशानी भी नहीं। आजकल ऐसी ही डिलीवरी का ट्रेंड है, दर्द का डर ही नहीं। हां बाद में कुछ परेशानियां हुईं थीं।

- शिल्पा कुशवाह, उज्जैन।

अब बदला ट्रेंड, राहत दे रहा 5 रुपए का खर्च, लगातार बढ़ रही है संख्या

हर दिन 100 से ज्यादा गर्भवती पहुंचती हैं, 100 डिलीवरी भी

दरअसल अब बड़ी बीमारियों के साथ ही प्रसूति को लेकर भी आयुर्वेद पर विश्वास लगातार बढ़ रहा है। यही कारण है कि एमपी के उज्जैन स्थित शासकीय धन्वंतरि आयुर्वेद चिकित्सालय में हर दिन 100 से ज्यादा गर्भवतियां पहुंचत रही हैं। यहां हर महीने औसत 100 डिलीवरी करवाई जाती हैं। इनमें 90 फीसदी महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी होती है। यदि ऑपरेशन की स्थिति बनती है, तो धन्वंतरि अस्पताल में ही सर्जन की सहायता से सिजेरियन कराया जाता है।

नए साल 2025 में हुई थी गर्भ संस्कार संस्था की शुरुआत

इस नए साल की शुरुआत में ही उज्जैन के इस आयुर्वेद संस्थान में गर्भ संस्कार इकाई शुरू की गई है। प्रसूति तंत्र और स्त्री रोग विभाग के एचओडी डॉ. सिद्धेश्वर सतुआ के मार्गदर्शन में स्वस्थ गर्भावस्था और सुरक्षित प्रसव प्रसूति के दायित्व को निभाया जाता है। इसके अलावा यहां महिला ICU भी बनाया जा रहा है, ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें कहीं और रेफर करने की जरूरत न पड़े।

निजी अस्पताल के बड़े खर्च, यहां 5 रुपए में डिलीवरी

निजी अस्पतालों में डिलीवरी के लिए बड़ी राशि खर्च होती है। विशेषकर ऑपरेशन की स्थिति में यह खर्च और बढ़ जाता है। इसके विपरीत आयुर्वेदिक चिकित्सा धन्वंतरि अस्पताल में यह खर्च बेहद कम है। यहां गर्भवती को ओपीडी रजिस्ट्रेशन के लिए 5 रुपए जमा करने होते हैं। सोनोग्राफी या अन्य जांच करवाने पर भी न्यूनतम शुल्क लगात है। साथ ही यहा सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिलता है।

एक्सपर्ट्स ने बताए नॉर्मल डिलीवरी के अधिक फायदे

सिजेरियन की तुलना में नॉर्मल डिलीवरी महिलाओं के लिए अधिक लाभप्रद होती है। इसमें शरीर अधिक कमजोर नहीं होता है, एक दो दिन में ऐसी प्रसूताओं को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। इसलिए नॉर्मल डिलीवरी की मंशा से गर्भवती महिलाएं आयुर्वेद उपचार को अपना रही हैं।

वर्ष 2006 में 10-20 गर्भवती यहां आती थीं। 2009 में इनकी संख्या बढ़ी, लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए 2017 में धन्वन्तरि अस्पताल को डिलीवरी पॉइंट घोषित किया गया। सफल डिलीवरी की संख्या बढ़ने पर 2023 में इसे एल-3 सेंटर का दर्जा मिला। अस्पताल की ओपीडी में हर दिन 100 से ज्यादा महिलाएं आती हैं। जिनमें से 60 फीसदी गर्भवती होती हैं। 90 फीसदी से अधिक डिलीवरी सामान्य हो रही हैं।

-डॉ. सिद्धेश्वर सतुआ, एचओडी प्रसूति तंत्र व स्त्री रोग विभाग, धन्वंतरि अस्पाताल, उज्जैन