नागौर. परिवहन विभाग का हाल यह है कि राजस्व वसूली के लिए नाके तो हर चौराहे पर दिखाई देते हैं, मगर जब बात आती है सडक़ सुरक्षा या बसों की फिटनेस जांच की, तो अधिकारी और कर्मचारी के स्टाफ की कमी का हवाला देकर पीछे हट जाते हैं। विभाग का ध्यान यात्रियों की सुरक्षा से ज़्यादा राजस्व टारगेट पूरा करने पर रहता है। यही कारण है कि जिले की मुख्य सडक़ों पर बिना परमिट और ओवरलोड वाहन बेखौफ दौड़ रहे हैं, जबकि जांच का काम केवल कागजों पर ही आंकड़ों की बाजीगिरी में ही रह जाता है।
पांच साल में बढ़ा राजस्व, लेकिन जिम्मेदारी नहीं
वित्तीय वर्ष राजस्व (लाख रुपये में)
2021-22 10,759.54
2022-23 15,055.69
2023-24 15,808.53
2024-25 17,371.52
2025-26 (अब तक) 10,328.83
हाल-बेहाल…
राजस्व वसूली में तो अधिकारी सक्रिय हैं, लेकिन सडक़ों पर फिटनेस जांच अभियान महीनों से नहीं चला। विभागीय सूत्रों का कहना है कि जिले में सैंकड़ों की संख्या में सार्वजनिक परिवहन वाहन बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के चल रहे हैं, वहीं कई निजी बसें ओवरलोड यात्रियों के साथ दिनभर दौड़ती रहती हैं। शहर के बीकानेर रोड, जोधपुर रोड एवं डेह रोड के साथ विजयबल्लभ चौराहा पर ऐसे वाहनों को कभी भी देखा जा सकता है। केवल इतना ही नहीं, बल्कि बस स्टैंड क्षेत्र में संचालित कई पुरानी बसें, जो कंडम की श्रेणी में शामिल होने के बाद भी अब तक चल रही हैं। इन वाहनों से रोजाना सैकड़ों यात्री सफर करते हैं, जिनकी सुरक्षा पूरी तरह भगवान भरोसे रहती है।
नाके पर फुल स्टाफ, जांच में गायब टीम
बताते है कि जब राजस्व बढ़ाने के लिए नाके लगाए जाते हैं, तो पूरी टीम मौजूद रहती है। लेकिन सडक़ सुरक्षा अभियान या सेफ ड्राइव सेव लाइफ जैसी पहल के दौरान न अधिकारी दिखते हैं, न जांच टीम। बस, अभियान ऐसे ही चलता रहता है।
इनका कहना है…
वाहनों की जांच के लिए अभियान चलाए जाने के साथ ही लोगों को जागरुक करने का काम भी विभाग की ओर से किया जाता है। वाहनों की फिटनेस नहीं मिलने पर उनके खिलाफ कार्रवाई भी होती है।
अवधेश चौधरी, जिला परिवहन अधिकारी नागौर