नागौर. जिले की सडक़ों पर भारी वाहनों का लापरवाही पूर्वक संचालन गंभीर खतरा बन गया है। बसें, ट्रक, डंपर और बाल वाहिनियां न केवल स्पीड गवर्नर , बल्कि विंडस्क्रीन पर गति सीमा दर्शाने वाले स्टीकर और क्यूआर कोड के बिना तेज रफ्तार से दौड़ रही हैं। परिवहन विभाग के स्पष्ट प्रावधानों के बावजूद पिछले एक वर्ष से न तो वाहनों की नियमित जांच की गई है, न ही किसी के खिलाफ कार्रवाई की गई । विभागीय उदासीनता के कारण जिले में सडक़ सुरक्षा व्यवस्था लडख़ड़ाने लगी है। इससे लगातार दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं।
आदेश बैठकों तक सीमित
जिला यातायात सलाहकार समिति की गत बैठकों में सभी व्यावसायिक वाहनों में स्पीड-गवर्नर अनिवार्य रूप से लगाने और विंडस्क्रीन पर गति स्टीकर, क्यूआर कोड चस्पा करने के कई बार निर्देश दिए गए। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने कागज़ों तक सीमित रख दिया। परिणाम स्वरूप नागौर, जायल, डेगाना, रियांबड़ी, मेड़तासिटी, खींवसर आदि इलाकों में परिवहन व पुलिस ने एक बार भी वाहनों की जांच नहीं की। परिवहन की रिपोर्ट के कॉलम में स्पीड-गवर्नर का कॉलम हमेशा शून्य दर्ज रहता है।
नहीं नजर आते निरीक्षक
शरहर में केन्द्रीय बस स्टैंड के पास, विजयबल्लभ चौराहा, प्राइवेट बस स्टैंड, निकट दिल्ली दरवाजा, बीकानेर और जोधपुर मार्ग पर हर समय भारी वाहन जमा रहते हैं। लेकिन परिवहन विभाग के निरीक्षक कहीं नजर नहीं आते। जानकारों का कहना है कि स्पीड-गवर्नर नहीं लगा होने से वाहन अनियंत्रित गति से दौड़ते हैं। इससे हादसों की संख्या बढ़ रही है।वाहनों में स्पीड गर्वनर लगे होने की जांच ट्रेफिक पुलिस और परिवहन विभाग दोनों ही नहीं करते।
ये मिले हालात
बीकानेर रोड पर दोपहर में एक से डेढ़ बजे के बीच करीब 115 भारी वाहन गुजरे। सभी तेज रफ्तार मे दौड़ रहे थे। लेकिन इनकी जांच करने के लिए विभाग को कोई जिम्मेदार वहां नजर नहीं आया। शहर के व्यस्तम मार्गों में शामिल कृषि मण्डी चौराहा पर दो से तीन बजे के बीच काफी संख्या में वाहन गुजरे, लेकिन यहां पर वैसे ही हालात थे।
घटिया गवर्नर और छेड़छाड़ से सुरक्षा बिखर रही है
परिवहन विभाग ने स्पीड-गवर्नर अनुबंधित कंपनी से लगाने का नियम बना रखा है। इससे छेड़छाड़ मिले पर वाहन की फिटनेस निरस्त की जा सकती है। इसके साथ ही विंडस्क्रीन पर गति और क्यूआर कोड वाला स्टीकर लगाना भी का भी अनिवार्य है। लेकिन कई वाहन चालक घटिया क्वालिटी का स्पीड़ गवर्नर लगवा लेते हैं। कुछ तार को छेडकऱ इससे निष्क्रिय कर देते हैं, पूरी रफ्तार से दौड़ सके। इसके बावजूद विभागीय कार्रवाई सिफर है।
इनका कहना है…
भारी वाहनों में स्पीड गवर्नर व सभी तय प्रावधानों के पालना की जांच करते हैं। इसके लिए अभियान भी चलाया जाता है। फिलहाल इस संबंध में कोई गंभीर स्थिति सामने नहीं आई है। फिर भी जांच करवाई जाएगी।
अवधेश चौधरी, जिला परिवहन अधिकारी, नागौर।