नागौर.चातुर्मास में चल रहे प्रवचन कार्यक्रमों के साथ ही रविवार को जैन समणी सुयशनिधि, समणी सुयोगनिधि की समारोहपूर्वक विदाई हुई। कार्यक्रम की शुरुआत नवकार महामंत्र जाप से हुई। इस मौके पर प्रवचन में समणी सुयशनिधि ने भगवान महावीर स्वामी के जीवन के अद्भुत प्रसंगों का विवेचन करते हुए कहा कि चंदनबाला की ओर से प्रभु का पारणा, तेरह अभिग्रहों का फलित होना, तथा दान का अद्वितीय आदि के प्रसंग त्याग, करुणा और आत्मसंयम के उज्ज्वल उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि दान देने से कभी कमी नहीं होती। उन्होंने समझाते हुए कहा कि जैसे कुएँ से पानी निकालने पर उसमें नया पानी भर जाता है, वैसे ही दान से पुण्य और समृद्धि की वृद्धि होती है। भगवान महावीर स्वामी पर हुए कठोर उपसर्गों का मार्मिक उल्लेख करते हुए कहा कि कानों में कील ठोंके जाने जैसी असहनीय पीड़ा के बीच भी प्रभु ने समता व धैर्य के साथ क्षमा का आदर्श प्रस्तुत किया। सच्चे साधक का पुरुषार्थ कभी व्यर्थ नहीं जाता है। फल भी अपने समय पर अवश्य मिलता है। उन्होंने कहा कि महावीर स्वामी के संदेश हमारे लिए जीवन का दिशा-सूचक हैं। त्याग हमें आसक्ति से मुक्त करता है, दान से सहानुभूति और सेवा भाव बढ़ता है, और कठिनाइयों में भी धैर्य रखना मानसिक शक्ति का विकास करता है। वर्तमान युग की चुनौतियों में तनाव, प्रतिस्पर्धा, भौतिकता के बीच महावीर का संयम और करुणा हमें आंतरिक शांति व संतुलन प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि सभी महावीर स्वामी के आदर्शों को अपनाकर, सेवा, सहिष्णुता और आत्मशुद्धि के मार्ग पर चलें, तभी समाज में नैतिकता, करुणा और स्थायी सुख का वातावरण बन सकेगा।
इनका हुआ सम्मान
प्रकाशचंद बोहरा, वीणा बोहरा, मयूरी बोहरा, पूनम नाहर, कांता देवी बाफना चेन्नई, पंकज जैन, रत्न हितेषी श्रावक संघ के अध्यक्ष अमीचंद सुराणा, जगदीश माली, करन कांगसिया, चंपालाल जांगीड़, सौहन नाहर, लिच्छी बाई, चित्रा बाई, हरकचंद ललवाणी?, संजय पींचा आदि को संघ हितार्थ कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। प्रवचन की प्रभावना का लाभ तिलूसा बाघमार परिवार व किशोरचंद पारख परिवार ने लिया। संचालन संजय पींचा ने किया।
ये रहे विजेता
प्रवचन प्रश्नों के सही उत्तर देने पर सलोनी सुराणा व अवनी ललवाणी को रजत मेडल प्रदान किए गए। बोनस प्रश्नों के सही उत्तर देने पर ज्ञानचंद नाहटा, सपना ललवाणी व सम्यक भूरट को भी सम्मानित किया। प्रतियोगिता के पुरस्कार का लाभ सुशील चौरडिय़ा परिवार व उमराव देवी मोदी परिवार ने लिया। पर्युषण आराधकों को चुकी देवी, संतोषचंद बैद परिवार, सिंकदराबाद के सौजन्य से सम्मानित किया गया। इस दौरान महावीरचंद भूरट, हरकचंद ललवाणी, रीटा ललवाणी, पुष्पा ललवाणी, किशोरचंद ललवाणी?, नरपतचंद ललवाणी , कमलचंद ललवाणी, पूनमचंद बैद, मूलचंद ललवाणी, राजेंद्र ललवाणी, प्रकाशचंद ललवाणी आदि श्रद्धालु मौजूद थे।