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चीन ने आतंकवाद खत्म करने के लिए UN में रखे तीन बड़े प्रस्ताव, पाकिस्तान पर नजर, भारत पर क्या होगा असर

China UN Anti-Terror Proposals: चीन ने यूएन में आतंकवाद उन्मूलन के लिए सामूहिक सहयोग, कानूनी ढांचा मजबूत करने और समग्र अभियान वाले तीन प्रस्ताव रखे।

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भारत

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MI Zahir

Oct 07, 2025

China UN Anti-Terror Proposals

चीन ने आतंकवाद खत्म करने के लिए यूएन में तीन प्रस्ताव रखे। (फोटो: IANS.)

China UN Anti-Terror Proposals: संयुक्त राष्ट्र में चीन के उप-स्थायी प्रतिनिधि कंग शुआंग ने आतंकवाद (China UN Anti-Terror Proposals) के बढ़ते खतरे पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में आतंकवादी गतिविधियां तेज हो रही हैं। वैश्विक स्तर पर आतंक का साया फिर से गहरा रहा है, और स्थिति पहले से ज्यादा पेचीदा हो गई है। ऐसे में चीन ने आतंकवाद को जड़ से मिटाने के लिए तीन अहम सुझाव दिए हैं। ये प्रस्ताव न केवल वैश्विक सुरक्षा को मजबूत करेंगे, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग को नई दिशा देंगे। कंग शुआंग (Geng Shuang UN Speech) ने पहला प्रस्ताव रखते हुए कहा कि सभी देशों को एकजुट होकर काम करना चाहिए। एक ही मानकों पर टिके रहते हुए वैश्विक आतंकवाद-विरोधी प्रयासों (Global Terrorism Eradication) में सामूहिक ताकत को बढ़ाना जरूरी है। विचारों के टकराव या राजनीतिक फायदों से बचते हुए एक मजबूत मोर्चा बनाना होगा। चीन का मानना है कि आतंकवाद मानवता का दुश्मन है, और इसे हराने के लिए दुनिया को एक परिवार की तरह सोचना चाहिए। यह कदम क्षेत्रीय अस्थिरता को कम करने में मदद करेगा।

आतंकवाद-विरोधी कानून और प्रभावी बनाएं

दूसरा महत्वपूर्ण सुझाव कानूनी ढांचा मजबूत करने का है। कंग शुआंग ने जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करते हुए आतंकवाद-विरोधी कानूनों को और प्रभावी बनाना चाहिए। हर देश को अपने नियमों को अंतरराष्ट्रीय मानकों से जोड़ना होगा, ताकि आतंकियों को कहीं छिपने का मौका न मिले। चीन ने कहा कि कानूनी सिस्टम को सख्त और पारदर्शी बनाकर ही लंबे समय तक शांति सुनिश्चित की जा सकती है। यह प्रस्ताव उन देशों के लिए खासतौर पर अहम है जो आतंकवाद से जूझ रहे हैं।

ऐसे अभियान से सभी देश सुरक्षित महसूस करेंगे

तीसरा प्रस्ताव एक समग्र रणनीति पर आधारित है। कंग शुआंग ने सुझाव दिया कि व्यापक स्तर पर संयुक्त अभियान चलाए जाएं। इसमें आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी पहलुओं को शामिल करना होगा। आतंकवाद के मूल कारणों जैसे गरीबी, बेरोजगारी और उग्रवाद को दूर करने पर फोकस हो। चीन ने कहा कि यह दृष्टिकोण न केवल हमलों को रोकेगा, बल्कि भविष्य के खतरे को भी कम करेगा। वैश्विक स्तर पर ऐसे अभियान से सभी देश सुरक्षित महसूस करेंगे।

भारत-पाक तनाव और आतंकवाद के मुद्दे प्रमुख

चीन ने इन प्रस्तावों को 'मानव जाति के साझा भविष्य' की अवधारणा से जोड़ा है। कंग शुआंग ने कहा कि चीन सभी देशों के साथ मिलकर वैश्विक सुरक्षा और शासन पहलों को लागू करने को तैयार है। स्थायी शांति और हर किसी की सुरक्षा वाले विश्व का निर्माण ही असली लक्ष्य है। चीन का यह रुख उसके ग्लोबल सिक्योरिटी इनिशिएटिव का हिस्सा है, जो SCO जैसे संगठनों के जरिये आगे बढ़ रहा है। लेकिन पाकिस्तान के करीबी दोस्त के रूप में चीन की नजरें दक्षिण एशिया पर भी हैं, जहां भारत-पाक तनाव और आतंकवाद के मुद्दे प्रमुख हैं।

भारत पर यह होगा असर

भारत के लिए इसका असर दोहरा है। एक तरफ, ये प्रस्ताव आतंकवाद के खिलाफ मजबूत वैश्विक फ्रंट बना सकते हैं, जो भारत के लिए फायदेमंद है। लेकिन चीन का पाकिस्तान को बचाना, जैसे 26/11 के आरोपी साजिद मीर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित न करने में उसका वीटो, चिंता बढ़ाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के ये कदम उसके ग्लोबल सिक्योरिटी इनिशिएटिव को मजबूत करेंगे, लेकिन भारत को सतर्क रहना होगा कि ये पाकिस्तान को जवाबदेही से न बचाएं। दक्षिण एशिया में शांति के लिए ये प्रस्ताव परीक्षा की घड़ी साबित होंगे।

चीन की नीयत पर रहेगी नजर

बहरहाल ये प्रस्ताव आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को नई गति देंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन का योगदान महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे अमल में लाने के लिए सभी देशों की भागीदारी जरूरी है। क्या ये सुझाव पाकिस्तान जैसे सहयोगियों को आतंकवाद पर सख्ती के लिए प्रेरित करेंगे? समय बताएगा। चीन की यह पहल न केवल सुरक्षा को मजबूत करेगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी सुधारेगी।