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रूसी तेल की सप्लाई घटी, क्या भारत पर भी दिखा अमेरिकी प्रतिबंधों का असर?

भारतीय तेल कंपनियों ने रूसी कच्चे तेल की आमद कम कर दी है। यह सब अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते हुआ है। अमेरिका ने रूस की दो सबसे बड़ी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है। पढ़ें पूरी खबर...

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crude oil

कच्चा तेल (फोटो-IANS)

Russian oil Ban: भारत (India) में अमेरिकी प्रतिबंधों (US sanctions) के डर का असर साफ दिखाई दे रहा है। अमेरिका द्वारा रूसी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंधों की घोषणा के बाद भारत में रूसी तेल के आयात में भारी गिरावट दर्ज की गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि बीते कुछ दिनों में रूसी तेल की आमद काफी कम हुई है। स्पष्ट आंकड़ों और विस्तृत जानकारी सामने आने में अभी कुछ समय लगेगा। उन्होंने बताया कि भारतीय रिफाइनर अमेरिका द्वारा लगाए गए इन प्रतिबंधों को लेकर चिंतित हैं, जो 21 नवंबर से प्रभावी हो जाएंगे।

घटी रूसी तेल की आमद

वैश्विक कमोडिटी डेटा और एनालिटिक्स प्रदाता केप्लर के अनुसार, 27 अक्टूबर तक समाप्त सप्ताह में भारत ने रूस से औसतन 1.19 मिलियन बैरल प्रति दिन (बीपीडी) कच्चा तेल आयात किया, जो पिछले दो सप्ताह के औसत 1.95 मिलियन बीपीडी की तुलना में काफी कम है। विशेषज्ञों के अनुसार, रोसनेफ्ट और लुकोइल से आपूर्ति में कमी के कारण ही रूसी तेल का आयात घटा है।

जानकारी के अनुसार, रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनी रोसनेफ्ट से भारत को निर्यात 21 से 27 अक्टूबर के बीच घटकर 0.81 मिलियन बैरल प्रतिदिन रह गया, जबकि पिछले सप्ताह यह 1.41 मिलियन बैरल प्रतिदिन था। वहीं, लुकोइल से 21 से 27 अक्टूबर के बीच भारत को कोई शिपमेंट नहीं भेजा गया, जबकि पिछले सप्ताह यह 0.24 मिलियन बैरल प्रतिदिन था।

कुल तेल आयात में रूसी तेल की हिस्सेदारी 35 फीसदी

वर्तमान में भारत के कुल तेल आयात में रूसी तेल का लगभग 35% हिस्सा है। 27 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में कम आयात निर्यातकों पर अमेरिका की कड़ी कार्रवाई, द्वितीयक प्रतिबंधों के भय और भारतीय रिफाइनरियों के लिए कीमतों में कोई खास बचत न होने के कारण सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों तथा रिलायंस द्वारा खरीद में कमी का संकेत दे सकता है।

केप्लर में रिफाइनिंग एवं मॉडलिंग के प्रमुख शोध विश्लेषक सुमित रिटोलिया ने कहा, “प्रतिबंधों के बाद हमने समय सीमा से पहले रूसी कच्चे तेल की आवक में तेजी देखी है। नायरा (जिसके प्रवर्तक समूह में रोसनेफ्ट शामिल है) को छोड़कर किसी भी रिफाइनर द्वारा प्रतिबंधित आपूर्तिकर्ताओं से आयात की उम्मीद नहीं है। 21 नवंबर तक रूसी कच्चे तेल का प्रवाह लगभग 1.6-1.8 मिलियन बैरल प्रतिदिन रहने की संभावना है।” उन्होंने आगे बताया कि अक्टूबर में भारत के कुल तेल आयात में रूसी कच्चे तेल का योगदान लगभग 34 प्रतिशत था।

भारतीय तेल कंपनियों ने कम की खरीदारी

देश की सबसे बड़ी तेल रिफाइनर और ईंधन खुदरा कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOC) के चेयरमैन अरविंदर सिंह सहनी ने कहा कि कंपनी अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा लगाए गए सभी प्रतिबंधों का पालन करेगी, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि IOC रोसनेफ्ट और लुकोइल से सस्ता कच्चा तेल खरीदना बंद करेगी या नहीं।

निजी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का पालन करने की बात कही थी। वहीं, इंडियन ऑयल की सहायक कंपनी चेन्नई पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (CPCL) ने रूसी तेल की खरीद आधी कर दी है। यह पूरा घटनाक्रम अमेरिकी प्रतिबंधों की घोषणा के साथ मेल खाता है।

अमेरिका ने लगाया था प्रतिबंध

रोसनेफ्ट रूस की सरकारी तेल कंपनी है, जो तेल की खोज, रिफाइनिंग और बिक्री में विशेषज्ञता रखती है। लुकोइल एक निजी स्वामित्व वाली अंतरराष्ट्रीय कंपनी है, जो रूस और विदेशों में तेल-गैस की खोज और रिफाइनिंग का काम करती है। इन दोनों कंपनियों की 50% या उससे अधिक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी वाली 36 सहायक कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने 21 नवंबर तक विदेशी कंपनियों को रोसनेफ्ट और लुकोइल के साथ सभी लेन-देन खत्म करने के निर्देश दिए हैं। यदि पालन नहीं किया गया, तो जुर्माना, ब्लैकलिस्टिंग या व्यापारिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।