
दुनिया की पहली कम्प्यूटरीकृत राइफल प्रणाली आर्बेल। ( फोटो: X Handle/Netram Defense Review)
IWI Arbel System: भारत की सामरिक ताकत और सैन्य क्षमता में जल्द ही एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। इजराइल वेपन इंडस्ट्रीज (IWI) एक ऐसी तकनीक भारत को देने पर बातचीत कर रही है, जो छोटे हथियारों की दुनिया में कम्प्यूटर जैसा दिमाग (IWI Arbel System) जोड़ देती है। यह तकनीक आर्बेल प्रणाली (Arbel Computerized Weapon System) के नाम से जानी जाती है—और ऐसा दावा किया जा रहा है कि यह दुनिया की पहली पूरी तरह कम्प्यूटरीकृत फायर-कंट्रोल टेक्नोलॉजी ( Computerized Fire-Control Technology) है।
आर्बेल को ऐसे समझें जैसे हथियार में एक छोटा-सा दिमाग लगा दिया गया हो। इस सिस्टम की खूबी यह है कि यह निशाने की दूरी समझता है। हथियार के हिलने (मूवमेंट) या वाइब्रेशन/हलचल को महसूस करता है। इस हथियार की एक विशेषता यह भी है कि यह खतरे की दिशा पढ़ता है। यह सबसे सही समय पर ट्रिगर एक्टिव करता है। इस हथियार से सैनिक को यह सोचने की भी जरूरत नहीं पड़ती कि “कब गोली चलाऊं”— हथियार खुद तय कर लेता है कि सबसे सटीक समय कौन-सा है।
भारत की सेना को हाल के वर्षों में तेज़, सटीक और स्मार्ट हथियारों की जरूरत बढ़ी है। पहाड़ों, घने जंगलों और शहरी ऑपरेशन में अक्सर सेकंड-भर की गलती भारी पड़ सकती है। आर्बेल का फायदा यह होगा कि नए सैनिक भी कम समय में विशेषज्ञ जैसी सटीकता पा सकेंगे। यही नहीं, रात, धुंध और कम दिखने वाली परिस्थितियों में शूटिंग ज्यादा सही होगी। साथ ही फायरिंग की बर्बादी कम होगी।
यह सिस्टम आधुनिक राइफल्स में आसानी से फिट हो सकता है, जिससे बड़ी संख्या में बदलाव की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।
आर्बेल में लगे सेंसर लगातार माहौल को पढ़ते हैं। यह माइक्रो-कम्प्यूटर हथियार के ट्रिगर को “कंट्रोल मोड” में रखता है और तभी शॉट जाने देता है जब निशाना परफेक्ट पॉइंट पर हो।
इसे क्यों कहा जा रहा है ‘गेम-चेंजर’? सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक पारंपरिक युद्ध शैली को पूरी तरह बदल सकती है। कई लोग इसे ड्रोन और स्मार्ट बुलेट के बाद छोटे हथियारों की दुनिया में सबसे बड़ा बदलाव बता रहे हैं। कुछ सुरक्षा विश्लेषक यह भी कहते हैं कि यह तकनीक आतंकवाद-रोधक अभियानों में भारत की क्षमता कई गुना बढ़ा सकती है, क्योंकि हर ऑपरेशन में “पहले शॉट, सही शॉट” बहुत अहम होता है।
आईडब्ल्यूआई ने भारतीय एजेंसियों और रक्षा अधिकारियों के साथ शुरुआती चर्चा शुरू कर दी है। अगले चरण में इसका ट्रायल्स (Trials) और भारतीय हथियारों के साथ इंटीग्रेशन पर काम हो सकता है। अगर सब ठीक रहा, तो यह तकनीक भारत की राइफलों में अगले कुछ वर्षों में दिखाई दे सकती है।
यह सिस्टम पूरी तरह AI नहीं है, लेकिन यह एक बड़ा संकेत देता है कि भविष्य में छोटे हथियार भी “सोचने वाले हथियार” बन सकते हैं। ड्रोन, मिसाइल और रडार से आगे बढ़ कर अब राइफलें भी स्मार्ट हो रही हैं। कुछ देशों में पहले से ऐसे प्रोजेक्ट चल रहे हैं, और आर्बेल सिस्टम उस दिशा में सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है।
Published on:
03 Dec 2025 06:44 pm
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