
प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। फोटो- (IANS)
Khalistani Terrorist: कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी (Khalistani Terrorist) इंद्रजीत सिंह गोसल को गिरफ्तारी के कुछ ही दिनों बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया। जेल से बाहर आते ही इंद्रजीत सिंह गोसल( Inderjeet Singh Gosal) ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल को धमकी दी। एक वीडियो में गोसल को ओंटारियो के सुधार केंद्र से बाहर निकलते देखा गया, जहां उन्होंने खुलेआम खालिस्तान आंदोलन को समर्थन देने की बात कही। गोसल ने कहा, "मैं गुरपतवंत सिंह पन्नू के साथ हूँ और 23 नवंबर 2025 को खालिस्तान जनमत संग्रह कराऊँगा। दिल्ली में खालिस्तान बनेगा।" यह बयान भारत की संप्रभुता के लिए खुली चुनौती माना जा रहा है।
गुरपतवंत सिंह पन्नू, जो प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) का प्रमुख है, ने भी अजीत डोभाल को निशाना बनाया। पन्नू ने कहा, "डोभाल, तुम कनाडा, अमेरिका या यूरोप क्यों नहीं आते? मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ।" पन्नू पर पहले भी भारत की संप्रभुता को चुनौती देने के आरोप लग चुके हैं। हाल ही में उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर झंडा फहराने से रोकने वाले को 11 करोड़ रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी। ऐसे बयानों से भारत-कनाडा संबंधों में तनाव और बढ़ गया है।
इंद्रजीत सिंह गोसल को 19 सितंबर को ओंटारियो में एक ट्रैफिक स्टॉप के दौरान गिरफ्तार किया गया था। उनके साथ दो अन्य खालिस्तानी समर्थक, जगदीप सिंह और अरमान सिंह, भी पकड़े गए थे। इन तीनों पर हथियारों से संबंधित कई गंभीर आरोप लगाए गए, जैसे लापरवाही से हथियार का इस्तेमाल, खतरनाक हथियार रखना और छुपाकर हथियार ले जाना। कनाडाई पुलिस ने बताया कि यह गिरफ्तारियाँ एक बड़ी जांच का हिस्सा थीं। हालांकि, गोसल को 25 सितंबर को जमानत मिल गई, जिसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह पहली बार नहीं है जब गोसल को कनाडा में गिरफ्तार किया गया और जल्दी रिहा किया गया। पिछले साल ब्रैम्पटन के हिंदू सभा मंदिर में हिंसक झड़प के बाद उन्हें पील क्षेत्रीय पुलिस ने हिरासत में लिया था, लेकिन तब भी उन्हें तुरंत जमानत मिल गई थी। कनाडा के इस रवैये को लेकर भारत ने कई बार चिंता जताई है।
खालिस्तानी अलगाववादियों के प्रति कनाडा के नरम रुख ने भारत के साथ उसके संबंधों को प्रभावित किया है। हाल की गिरफ्तारियाँ और रिहाई इस बात का संकेत देती हैं कि कनाडा की नई सरकार शायद सख्त कदम उठाने की कोशिश कर रही है। फिर भी, गोसल की त्वरित रिहाई ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। भारत ने हमेशा से खालिस्तानी गतिविधियों पर कड़ा रुख अपनाया है और कनाडा से इस मामले में सहयोग की उम्मीद करता है।
खालिस्तान आंदोलन भारत में एक अलग सिख राज्य की माँग से जुड़ा है, जिसे भारत सरकार आतंकवादी गतिविधि मानती है। सिख फॉर जस्टिस जैसे संगठन इस आंदोलन को बढ़ावा देते हैं, जिसके कारण भारत ने इसे प्रतिबंधित किया है। गोसल और पन्नू जैसे लोग इस आंदोलन को विदेशों में सक्रिय रखने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे भारत की सुरक्षा और संप्रभुता को खतरा पैदा हो रहा है।
बहरहाल गोसल की रिहाई और उसकी धमकियों ने भारत-कनाडा संबंधों पर एक बार फिर सवाल उठाए हैं। भारत सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है और कनाडा से ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने की माँग कर रही है। यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में कनाडा का रुख क्या रहता है।
Updated on:
26 Sept 2025 01:11 pm
Published on:
26 Sept 2025 01:10 pm
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