6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

पाकिस्तानी सेना की फिर हुई थू-थू, गरीब परिवार के साथ किया ये काम, मचा हड़कंप

Abdul Wahab Killing Case: बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना की बर्बरता फिर से देखने को मिली है। एक बेहद ही गरीब परिवार के साथ पाक आर्मी ने ऐसा काम किया है, जिससे पूरे इलाके में हड़कंप मच गया।

2 min read
Google source verification

भारत

image

Saurabh Mall

Dec 06, 2025

brutality of Pakistani Army (1)

बलूचिस्तान का दर्द: पाकिस्तानी आर्मी (AI जनरेटेड परिवार का फोटो)

Brutality Of Pakistani Army: बलूचिस्तान से एक बार फिर दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। मानवाधिकार संगठन ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई ने एक गरीब परिवार की दुनिया उजाड़ दी। पंजगुर इलाके में एक युवक का गोलियों से छलनी शव मिलने के बाद लोगों में गुस्सा और डर दोनों बढ़ गया है। लगातार हो रही हत्याओं, गुमशुदगी और अत्याचारों ने पूरे प्रांत में चिंता का माहौल बना दिया है।

बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना की बर्बरता

मानवाधिकार संगठन ‘बलूच यकजेहती समिति’ (BYC) ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर फोटो साझा करते हुए पाकिस्तानी सेना पर कठोर सवाल उठाए हैं। मानवाधिकार संगठन के मुताबिक, 4 दिसंबर को पंजगुर जिले के पुल आबाद इलाके में अब्दुल वहाब नाम के युवक का गोलियों से छलनी शव मिला। वहाब सिर्फ 33 साल का था, जो एक बेहद ही गरीब परिवार से आता था। अपने घर में कमाने वाला वह अकेला था। परिवार का पेट पालने के लिए वह ड्राइवर की नौकरी करता था।

BYC का कहना है कि यह कोई पहला मामला नहीं है, जब बलूचिस्तान में सेना ने इस प्रकार की बर्बरता की हो। हत्याओं और जबरन गायब किए जाने का सिलसिला पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों और उनके प्रायोजित मिलिशिया समूहों द्वारा की जा रही 'मार डालो और फेंक दो' नीति के बढ़ते पैटर्न और बढ़ती सरकारी हिंसा को दिखाता है।

बलूचिस्तान का दर्द: मानवाधिकार संस्था ने उठाई आवाज

मानवाधिकार संस्था ‘बलूच यकजेहती समिति’ (BYC) ने इससे पहले 2 दिसंबर 2025 को एक चौंकाने वाला पोस्ट सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर साझा किया था। इस पोस्ट लिखा था कि बलूचिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा शहर, तुर्बत, 20 साल पुरानी लड़ाई से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में से एक है। यहां हर घर में लोगों को जबरदस्ती गायब करने और नकली एनकाउंटर की महामारी फैली हुई है। सरकार ने जुल्म और क्रूरता का अपना प्रोसेस इतना तेज कर दिया है कि लोगों ने पाकिस्तान के जुल्म को जिंदगी की बदलती सच्चाई मान लिया है और अपनी जिंदगी बस डर से गुजार रहे हैं।

‘बालाच मोला बक्स’ (Balach Mola Bux) का केस इस टूटे हुए सिस्टम को उजागर करता है। उसे 29 अक्टूबर 2023 को जबरदस्ती गायब कर दिया गया, 20 दिन बाद FIR दर्ज की गई, उसे 21 नवंबर को कोर्ट में पेश किया गया, और अगले दिन बिना किसी कानूनी कार्रवाई के मार दिया गया। बलूच परिवारों के लिए, कोर्ट में किसी अपने को देखना भी एक बड़ी राहत होती है, क्योंकि इससे कम से कम उनके ठिकाने और हालत का पता तो चल जाता है। लेकिन इसके बावजूद बालाच को मार दिया गया।

उसकी हत्या के बाद, BYC और दूसरे एक्टिविस्ट ने पूरे बलूचिस्तान में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किए। बाद में एक कोर्ट ने काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट के खिलाफ FIR का आदेश दिया, यह मानते हुए कि उसकी मौत उनकी कस्टडी में हुई थी। फिर भी हर लेवल पर अधिकारी केस दर्ज करने में नाकाम रहे, जो एक ऐसे सिस्टम को दिखाता है जिसमें जवाबदेही से इनकार किया जाता है और सरकार के कामों पर सवाल उठाना बर्दाश्त नहीं किया जाता। दशकों के दबाव के बीच, बलूच अभी भी सरकार की हिंसा का शिकार हैं।