
G-20 में भारत के लिए मैदान खाली है और मोदी के लिए बड़ा मौका है। (फोटो: पत्रिका)
G-20 Summit 2025 Modi Opportunity: दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में इस बार जी 20 सम्मेलन (G20 Summit 2025) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बहुत खास रहेगा। एक ओर पुतिन को गिरफ्तारी का डर है तो दूसरी ओर ट्रंप ईसाइयों के खिलाफ हिंसा से नाराज़ हैं। वहीं चीन के प्रधानमंत्री जिनपिंग की तबीयत खराब है। ध्यान रहे कि भारत ने दिल्ली में आयोजित G-20 के दौरान ही साउथ अफ्रीका को सदस्य बनवाया था। अब सम्मान के साथ ही अफ्रीकी देशों में भारत का प्रभाव बढ़ रहा है। ऐसे में पीएम मोदी के पास बेहतरीन मौका (G-20 Summit 2025 Modi Opportunity) है और वे साउथ अफ्रीका समेत G-20 के अन्य देशों के साथ निवेश-व्यापार बढ़ा सकते हैं। ऐसा करने से भारतीय अर्थव्यवस्था को ज़बरदस्त बूस्ट मिलेगा।
जोहान्सबर्ग में चल रहे जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की अनौपचारिक भेंट ने सबका ध्यान खींच लिया। दोनों की हल्की-फुल्की बातें और गर्मजोशी वाले अभिवादन ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया। यह पल भारत और इटली के बीच गहरे होते संबंधों का जीता-जागता नमूना बन गया। सम्मेलन के साइडलाइन्स पर हुई इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने सहयोग के नए क्षेत्रों पर चर्चा की। मेलोनी ने मोदी को 'नमस्ते' के साथ स्वागत किया, जबकि मोदी ने अपनी मुस्कान से जवाब दिया। वीडियो में दोनों को हाथ मिलाते और हंसते देखा गया, जो वैश्विक मंच पर सकारात्मक संदेश दे रहा है। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रमापोसा ने भी मोदी का स्वागत किया, लेकिन यह पल सबसे ज्यादा वायरल हुआ।
जोहान्सबर्ग में शनिवार से शुरू हो चुका जी20 शिखर सम्मेलन 2025 अफ्रीकी महाद्वीप का पहला ऐसा आयोजन है। यहां जलवायु परिवर्तन, गरीबी उन्मूलन, हरित ऊर्जा और वैश्विक असमानता जैसे बड़े मुद्दों पर बात होगी। लेकिन सम्मेलन की शुरुआत ही तनाव से हुई है। मोदी के लिए अच्छी बात ही है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका पर 'सफेद किसानों के खिलाफ हिंसा' का आरोप लगा कर पूरा बहिष्कार कर दिया। रूस के व्लादिमीर पुतिन को अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) के गिरफ्तारी वारंट का डर है, जबकि चीन के शी जिनपिंग ने स्वास्थ्य कारणों से दूरी बना ली। इन तीनों की गैर -मौजूदगी ने वैश्विक मंच को नया रंग दे दिया, लेकिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यह सुनहरा मौका बन गया है।
ट्रंप का फैसला सबसे चौंकाने वाला है। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका को 'सफेद नरसंहार' का दोषी बताते हुए कहा कि यह सम्मेलन वहां होना 'अनुचित' है। दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रमापोसा ने इसे 'झूठा प्रचार' करार दे कर पलटवार किया – 'हम बिना अमेरिका के आगे बढ़ेंगे।' ट्रंप के करीबी अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली ने भी समर्थन में बहिष्कार का साथ दिया। पुतिन यूक्रेन युद्ध में बच्चों के अपहरण के आरोप में वारंट का शिकार हैं। दक्षिण अफ्रीका आईसीसी सदस्य होने से उनकी गिरफ्तारी अनिवार्य होगी, इसलिए रूस ने डिप्टी मैक्सिम ओरेश्किन को भेजा। जिनपिंग इस साल कम विदेश यात्रा कर रहे हैं और चीन की ओर से प्रीमियर ली कियांग प्रतिनिधित्व करेंगे।
फ्रांस के इमैनुएल मैक्रॉन, ब्रिटेन के कीर स्टार्मर, ब्राजील के लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा जैसे नेता पहुंच चुके हैं। यूरोपीय संघ की उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा, 'एकजुटता ही सफलता की कुंजी है।' सम्मेलन में अफ्रीकी देशों के कर्ज माफी, डिजिटल अर्थव्यवस्था और महत्वपूर्ण खनिजों के उपयोग पर फोकस रहेगा। अमेरिका और चीन के शीर्ष नेता नहीं आने की वजह से दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का प्रतिनिधित्व कमजोर हो जाएगा।
भारत के लिए यह सम्मेलन बहुत खास है। सन 2023 के दिल्ली G-20 में ही भारत ने अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य बनाने में अहम भूमिका निभाई थी, जिससे दक्षिण अफ्रीका को बड़ा लाभ मिला। मोदी आज जोहान्सबर्ग पहुंचे, जहां ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बानीज से द्विपक्षीय बैठक हुई। रणनीतिक साझेदारी मजबूत करने पर सहमति बनी।
ड्रग-आतंक नेटवर्क रोकथाम, वैश्विक स्वास्थ्य टीम, डिजिटल विस्तार और अफ्रीकी विकास मॉडल सुधार। इस दौरान दक्षिण अफ्रीकी नेताओं से डिजिटल निवेश पर चर्चा हुई। अफ्रीकी देशों में भारत का सम्मान और प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। मोदी के पास साउथ अफ्रीका, ब्राजील, तुर्की जैसे जी20 सदस्यों के साथ व्यापार-निवेश बढ़ाने का शानदार मौका है। कनाडा के साथ गैस-वाइन सौदे की बात चल रही है, जो भारतीय निर्यात को बढ़ावा देगी।
विशेषज्ञ कहते हैं कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को जबरदस्त बूस्ट मिलेगा। जीडीपी वृद्धि 7% से अधिक हो सकती है,वहीं नई नौकरियां पैदा होंगी। अफ्रीका में आईटी हब, नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट्स से लंबे समय तक फायदा होगा। G-20 के बाद दक्षिण अफ्रीका अमेरिका को प्रेसीडेंसी सौंपेगा, लेकिन विवाद वैश्विक एकता पर सवाल खड़े कर रहे हैं। यह भारत जैसे उभरते देशों के लिए यह नई ऊंचाइयों का द्वार खोल रहा है।
ऐसे में जानकारों का मानना है कि ट्रंप का बहिष्कार बहुपक्षवाद को नुकसान पहुंचा रहा है, लेकिन मोदी की डिप्लोमेसी भारत को वैश्विक नेता के रूप में मजबूत करेगी। अफ्रीका में बढ़ता प्रभाव सॉफ्ट पावर का प्रतीक है। वहीं सम्मेलन के बाद जलवायु वित्त पर नया समझौता हो सकता है। ऐसे में अमेरिका के बिना घोषणा से तनाव बढ़ सकता है।
Updated on:
22 Nov 2025 06:41 pm
Published on:
22 Nov 2025 06:40 pm
बड़ी खबरें
View Allविदेश
ट्रेंडिंग
