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शेख हसीना के करीबी का दावा, यूनुस चाहते हैं बांग्लादेश में सिविल वॉर

बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना को सज़ा-ए-मौत सुनाई गई है। इस फैसले पर उनके एक करीबी ने एक बड़ा दावा किया है और मुहम्मद यूनुस पर बड़ा आरोप लगाया है।

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भारत

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Tanay Mishra

Nov 18, 2025

Mohibul

मोहिबुल हसन चौधरी (File Photo)

बांग्लादेश (Bangladesh) की पूर्व पीएम शेख हसीना (Sheikh Hasina) को सोमवार को देश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने सज़ा-ए-मौत सुनाई। यह सज़ा बांग्लादेश में पिछले साल हुए छात्र आंदोलन के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में दी गई, जिसमें 1400 से ज़्यादा लोग मारे गए थे। इसी वजह से शेख हसीना को पीएम पद छोड़कर और अपनी जान बचाकर भारत आना पड़ा और 5 अगस्त 2024 से शेख हसीना भारत सरकार की ही शरण में रह रही है। बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने उन्हें भड़काने, हत्याओं का आदेश देने और अत्याचार रोकने में नाकाम रहने के तीन मामलों में दोषी पाया और मौत की सज़ा सुनाई। शेख हसीना के साथ ही उनके उनके पूर्व गृह मंत्री आसदुज्जमां खान को भी मौत की सज़ा दी गई। इस मामले में अब उनके एक करीबी का बड़ा बयान सामने आया है।

यूनुस चाहते हैं बांग्लादेश में सिविल वॉर

शेख हसीना के करीबी और पूर्व बांग्लादेशी मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी (Mohibul Hasan Chowdhury) ने दीवा किया है कि देश की अंतरिम सरकार के लीडर मुहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) बांग्लादेश में सिविल वॉर चाहते हैं। हसन ने शेख हसीना को मिली मौत की सज़ा पर बात करते हुए कहा, "यह फैसला एक सोचा-समझा नाटक था। उन्हें पता है कि यह फैसला लागू नहीं किया जा सकता, इसलिए उन्हें कुछ तो करना ही था। उन्होंने फैसला पहले ही तय करके लिख लिया था। न्यायाधिकरण के अध्यक्ष पिछले एक महीने से अदालत में मौजूद भी नहीं थे। अदालत का संविधान ही अवैध है क्योंकि अंतरिम व्यवस्था के पास न्यायाधिकरण के कानूनों में संशोधन करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है, जो उन्होंने अवामी लीग पर इस 'कंगारू अदालत' में मुकदमा चलाने के लिए किया है। यूनुस ऐसा करते हुए देश में सिविल वॉर भड़काना चाहते हैं।"

शेख हसीना ने फैसले को बताया गलत

शेख हसीना, जो इस समय भारत में हैं, ने खुद को सज़ा-ए-मौत के फैसले को पूरी तरह से गलत और राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है। इसके साथ ही उन्होंने इस फैसले को अस्वीकार कर दिया है, क्योंकि उनका पक्ष रखने के लिए वकीलों को मौका ही नहीं दिया गया।